नगर निगम में श्वानों की नसबंदी का घोटाला
एक श्वान की नसबंदी पर 925 रुपए का भुगतान… 11 करोड़ 56 लाख खर्च कर चुका है निगम…
इंदौर।
पांच बार स्वच्छता (Sanitation) का खिताब हासिल कर चुके शहर में गंदगी का सफाया हो गया। सडक़ों (roads) पर विचरण करते पशु हकाल दिए गए, लेकिन पूरे शहर में गंदगी फैलाते, आते-जाते लोगों को काटते श्वानों (dogs) की तादाद बढ़ती जा रही है। इस तादाद पर नियंत्रण के लिए नगर निगम द्वारा चलाया गया नसबंदी (sterilization) अभियान पूरी तरह फर्जी साबित हो रहा है। निगम द्वारा शहर में दो लाख श्वानों (dogs) की तादाद बताते हुए सवा लाख श्वानों (dogs) की नसबंदी (sterilization) का दावा कर अब तक 11 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है, लेकिन न तो श्वानों की तादाद घटी है और न ही उन पर कोई नियंत्रण हुआ है। उलटा हर साल बड़ी तेजी से श्वानों और श्वानों (dogs) से पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
नगर निगम (municipal corporation) द्वारा शहर में श्वानों (dogs) की बढ़ती तादाद पर नियंत्रण के लिए 7 साल पहले 2014-2015 से श्वानों (dogs) की नसबंदी अभियान शुरू किया गया था। इसके लिए एक अलग से विभाग बनाया, जिसके कर्मचारी सडक़ों पर विचरण करते मादा श्वानों को पकड़-पकडक़र लाते और उनकी नसबंदी के बाद पुन: शहर में छोड़ दिया जाता है। निगम का दावा है कि अभी तक सात सालों में सवा लाख श्वानों (dogs) की नसबंदी (sterilization) की जा चुकी है। हर श्वान की नसबंदी पर निगम द्वारा 925 रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जबकि एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (Animal Welfare Board of India) ने प्रति श्वान की नसबंदी के लिए 1500 की राशि तय कर रखी है, मगर इंदौर नगर निगम द्वारा नसबंदी पर 925 रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस अनुमान से भी निगम श्वानों (dogs) की नसबंदी पर अब तक 11 करोड़ 56 लाख 25 हजार रुपए खर्च कर चुका है, लेकिन आलम यह है कि अब भी शहर में जगह-जगह न केवल श्वान, बल्कि उनके पिल्ले भी नजर आ रहे हैं। यह तादाद घटने के बजाय बढ़ती जा रही है और उसका शिकार आते-जाते लोग हो रहे हैं। कई स्थानों पर तो हालत इस कदर खराब है कि लोगों का निकलना भी दूभर है।
साफ नजर आता है फर्जीवाड़ा…दो लाख श्वान और सवा लाख की नसबंदी…यानी मादा ज्यादा और यदि सभी की नसबंदी तो पिल्ले कैसे…?
नगर निगम (municipal corporation) के एनिमल बर्थ कंट्रोल अधिकारी डॉक्टर उत्तम यादव (animal birth control officer Dr. Uttam Yadav) का दावा है कि शहर में दो लाख श्वान हैं और उनमें से सवा लाख की नसबंदी (sterilization) कर दी गई है। इस दावे से नसबंदी का घोटाला साफ जाहिर होता है। यदि शहर में दो लाख श्वान हैं और सवा लाख की नसबंदी कर दी गई, इसका मतलब नर से ज्यादा मादा श्वान (dogs) हैं। अभी भी यदि मादा श्वान (female dog) की नसबंदी (sterilization) बची हुई है तो इसका मतलब है कि उनकी तादाद नर श्वान से और भी ज्यादा है। डॉ. यादव की बात पर यकीन करें तो सवा लाख की नसबंदी के बाद तो शहर में एक भी नए श्वान का जन्म नहीं होना चाहिए, लेकिन अब भी जगह-जगह नए पिल्ले नजर आ रहे हैं, यानी निगम में नसबंदी (sterilization) को लेकर घोटाला हो रहा है और पूरा शहर श्वानों के आतंक से परेशान है।
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