ताशकंद। उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। इसके पहले दिन भारत ने सोमवार को करीब 20 देशों के साथ अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा में शामिल हुआ। सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ राजनयिक जेपी सिंह ने किया। गौरतलब है कि जेपी सिंह अफगानिस्तान के लिए विदेश मंत्रालय के प्वाइंट पर्सन हैं।
पिछले हफ्ते उज्बेकिस्तान ने इसकी जानकारी दी थी। उसने कहा था कि इस बैठक का उद्देश्य अफगानिस्तान में स्थिरता, सुरक्षा, संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण को बढ़ावा देने के लिए विश्व समुदाय के दृष्टिकोण के लिए उपाय तलाशना है। साथ ही इस सम्मेलन के उद्देश्य आतंकवाद का मुकाबला करने में विश्व समुदाय द्वारा एक आम स्थिति बनाने के साथ ही काबुल और अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के बीच में मौजूदा सरकार के बीच रचनात्मक बातचीत सुनिश्चित करना शामिल है।
उज्बेकिस्तान ने बताया था कि मध्य और दक्षिण एशिया, यूरोप, मध्य-पूर्व और एशिया-प्रशांत क्षेत्र सहित दुनिया के कई हिस्सों के प्रतिनिधि अफगान मुद्दे का समाधान खोजने के लिए विचार-विमर्श में भाग लेंगे। वहीं, भारत भी अफगानिस्तान की स्थिति पर कई प्रमुख शक्तियों के संपर्क में है। पिछले महीने, भारत ने अफगान राजधानी में अपने दूतावास में एक “तकनीकी टीम” को तैनात करके काबुल में अपनी राजनयिक उपस्थिति को फिर से स्थापित किया है।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद भारत ने दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। इसके बाद हाल ही में दूतावास को फिर से खोलने के कुछ हफ्ते बाद जेपी सिंह के नेतृत्व में एक भारतीय टीम काबुल गई थी। टीम ने वहां मुत्ताकी और तालिबान के कुछ अन्य सदस्यों से मुलाकात भी की थी। जिसके बाद तालिबान ने भारतीय टीम को आश्वासन दिया था कि अगर भारत अपने अधिकारियों को काबुल में दूतावास भेजता है तो पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
गौरतलब है कि भारत ने अफगानिस्तान में नए शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन के लिए जोर देकर कहा है कि किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि पिछले कुछ महीनों में भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भी दी है। अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर भारत ने पिछले नवंबर में देश की स्थिति पर एक क्षेत्रीय स्तर की वार्ता की मेजबानी की थी। जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया।
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