– एक महीने में 15 से 20 लाख की उगाही, आरोपों के बाद चक्कर अधिकारी ड्यूटी देता दिखा
इन्दौर। जिला जेल में 10 लाख की वसूली के लिए भूमाफिया रितेश उर्फ चंपू अजमेरा के साथ मारपीट किए जाने के मामले में जांच करने गए सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने कल जेलर केके कुलश्रेष्ठ और चक्कर अधिकारी मनोज चौरसिया की अच्छी खासी लू उतार दी और फटकार लगाते हुए उन्हें हिदायत दी कि निकट भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति हुई तो कार्रवाई की जाएगी। हालांकि फिलहाल चौरसिया पर कार्रवाई नहीं हुई और वह कल भी ड्यूटी करता देखा गया।
कल चक्कर अधिकारी चौरसिया और जेलर केके कुलश्रेष्ठ पर लगे आरोपों की जांच को लेकर जेल मुख्यालय ने आदेश निकाला और सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे वहां जांच करने पहुंचे। उन्होंने दोनों अधिकारियों को फटकार लगाई, लेकिन जांच के नाम पर हर बार की तरह इस बार भी लीपापोती हो गई और भ्रष्ट अधिकारी बच गए। पहले बताया गया कि मनोज चौरसिया को छुट्टी पर भेज दिया गया है, लेकिन कल दिनभर वह जेल में ही डटा रहा। जेल सूत्रों के अनुसार जिला जेल में चक्कर अधिकारी चौरसिया के करीबी बंदी रवि पिता अमरसिंह, धमेंद्र पिता टकेसिंह वसूली का काम देखते है। ये जेल में आने वाले नए कैदियों पर नजर रखते है। रसूखदार, जालसाजी के आरोपी और अन्य ऐसे कैदी जो इन्हें रुपए देने को तैयार हो जाते हैं, उन्हें अच्छे वार्ड में भेजने से लेकर अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। जेल सूत्रों का कहना है कि प्रतिमाह 15 से 20 लाख रुपए की वसूली यह चौक राइटर अधिकारियों के लिए करते हैं और उसी के अनुसार रसूखदार बंदियों को सुविधा मुहैया कराई जाती है। जेल में लैंडलाइन नंबर 2710270 पर दिन में बड़े बदमाश की एक से अधिक बार बात होती है, जबकि सामान्य बंदियों को अपने परिजनों से बात करने का मौका तक नहीं मिल पाता है। चौक राइटर की भूमिका के बारे में बड़े अफसरों को भी सब मालूम है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि जेल में हुए अर्जुन त्यागी हत्याकांड के दौरान जिला जेल के चक्कर अधिकारी मनोज चौरसिया की भूमिका संदिग्ध थी, उसकी भी जांच कराई जा रही है। ज्ञात रहे कि जिला जेल में 350 बंदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन यहां 1100 से अधिक बंदी बंद हैं, जिनमें 40 बड़े रसूखदार शामिल हैं।
दो भूमाफिया जेल से रिहा
लंबे समय से जिला जेल में बंद दो भूमाफिया अशोक डागा, अमित बोधा को रिहा कर दिया गया, जबकि कई अन्य भूमाफिया अभी भी जेल में बंद हैं, जिनसे जेल अधिकारियों द्वारा लगातार वसूली की जा रही है। भूमाफिया अरुण डागरिया ने भी जमानत की याचिका लगाई है।
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