नई दिल्ली (New Delhi)। रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की क्लासिक कहानियों और नॉवेल पर कई फिल्में बनी हैं, जिनमें से दो हिंदी फिल्में बेहद खास हैं। पहली, साल 1961 में रिलीज हुई ‘काबूलीवाला’ (Kabuliwala) है और दूसरी, गीतकार गुलजार के निर्देशन में बनी ‘लेकिन’ है जिसे लता मंगेशकर ने प्रोड्यूस किया था।
बलराज साहनी के खूबसूरत अभिनय से सजी ‘काबूलीवाला’ रवींद्रनाथ टैगोर की शॉर्ट स्टोरी काबूलीवाला पर बनी है. बलराज साहनी ने फिल्म में काजू-बादाम बेचने वाले अफगानी व्यापारी का रोल निभाया है जो एक नन्ही लड़की में अपनी बेटी की छवि देखता है और अनायास ही उसके साथ खूबसूरत रिश्ता बना लेता है।
गुलजार के निर्देशन में बनी 1991 की फिल्म ‘लेकिन’ रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी क्षुधित पाषाण से प्रेरित है. फिल्म समीर नाम के एक आदमी की कहानी है जो रेवा नाम की लड़की की ओर आकर्षित है, जिसके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान है. कहते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर गुजरात के शाहीबाग में स्थित मोती शाही महल में रुकने के बाद यह कहानी लिखने के लिए प्रेरित हुए थे।
‘लेकिन’ में विनोद खन्ना ने समीर का रोल निभाया था और रहस्यमयी लड़की रेवा के रोल में डिंपल कपाड़िया हैं. फिल्म में अमज खान, आलोक नाथ, बीना बनर्जी ने भी काम किया है. फिल्म में हेमा मालिनी खास रोल में हैं. फिल्म अपने शानदार गीत-संगीत, आर्ट और कहानी के चलते 38वें राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड्स में 5 राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने में कामयाब रही थी।
‘लेकिन’ को महान गायिका लता मंगेशकर ने प्रोड्यूस किया था, जिसे बनाने में 4 साल लगे थे. इस म्यूजिकल फिल्म में कुल 9 नायाब गाने हैं, जिनमें ‘यारा सीली सीली’ बेहद पॉपुलर हुआ था और आज भी इसके करोड़ों दीवाने हैं. गुलजार ने सर्वश्रेष्ठ गीतकार का नेशनल अवॉर्ड जीता था. हृदयनाथ मंगेशकर ने बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर और लता मंगेशकर ने बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल अवॉर्ड जीता था. बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड डिंपल कपाड़िया के नाम गया था।
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