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    UP के दो जांबाज IPS अफसरों को अमेरिका में मिलेगा IACP अवॉर्ड, ऐसा रहा इनका सफर

  • September 09, 2021

    अपराधियों पर नकेल कसने के साथ-साथ कम्युनिटी पुलिसिंग की लगातार कोशिशों के चलते उत्तर प्रदेश के 2 आईपीएस अफसरों को अमेरिका का प्रतिष्ठित आईएसीपी अवॉर्ड (IACP Award) मिलने जा रहा है. दुनियाभर के 40 साल से कम उम्र के 40 बेहतरीन पुलिस अधिकारियों को यह अवॉर्ड दिया जाना है, जिसमें एक आईपीएस यूपी कैडर के हैं तो दूसरे आईपीएस यूपी के रहने वाले हैं.

    Shaping the future of policing profession के उद्देश्य के साथ International Association of Chiefs of Police यानी IACP अवॉर्ड 2021, दुनिया के 165 देशों में से 40 साल से कम उम्र के 40 पुलिस अफसरों को दिया जाएगा. 6 देशों के 40 पुलिस अफसरों में भारत से 2 आईपीएस अफसर शामिल किए गए हैं और दोनों ही अधिकारी उत्तर प्रदेश के हैं. एक आईपीएस अफसर अमित कुमार यूपी चंदौली में एसपी हैं तो वहीं छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अफसर संतोष कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.

    आईपीएस संतोष सिंह
    2011 बैच के आईपीएस संतोष सिंह वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में पुलिस कप्तान हैं. गाजीपुर के देवकली गांव के रहने वाले संतोष कुमार सिंह के पिता पेशे से पत्रकार हैं. शुरुआती पढ़ाई गाजीपुर के नवोदय विद्यालय में पूरी करने के बाद बीएचयू से स्नातक किया. स्नातकोत्तर राजनीति शास्त्र(politics) में गोल्ड मेडल हासिल किया.

    जेएनयू से संतोष कुमार सिंह अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर एमफिल कर वर्तमान में दुर्ग विश्वविद्यालय से संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों पर पीएचडी कर रहे हैं. 10 साल के करियर में 2 साल के ट्रेनिंग पीरियड को छोड़ दें तो संतोष कुमार सिंह ने लगातार अपराध नियंत्रण और कम्युनिटी पुलिसिंग(community policing) पर बेहतरीन काम किया.

    2014 से 2016 तक नक्सल प्रभावित सुकमा में एडिशनल एसपी नक्सल ऑपरेशन रहे. इस दौरान हजार के लगभग नक्सलियों का सरेंडर करवाया, लगभग 500 नक्सली गिरफ्तार हुए और 88 नक्सली मारे गए. नक्सलियों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में पुनर्वास का कार्यक्रम चलाया, योजनाओं के तहत का लोगों तक लाभ पहुंचाया.


    छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के महासमुंद जिले में बतौर कप्तान रहते संतोष कुमार सिंह ने बच्चों में पुलिस की छवि बेहतर करने के लिए एक नई शुरुआत की. महासमुंद जिले में बाल हितैषी पुलिसिंग शुरू की गई, जिसके लिए हर थाने में चाइल्ड हेल्प डेस्क बनाई गई, महिला पुलिस कर्मी को चाइल्ड हेल्प ऑफिसर तैनात किया. इतना ही नहीं गांव मोहल्लों में तमाम शिक्षकों समाजसेवियों को बालमित्र बनाया गया ताकि बच्चों से जुड़ी समस्याओं को पुलिस तक पहुंचने में आसानी हो.

    IPS संतोष सिंह
    बाल अपराध रोकने के लिए बच्चों को गुड और बैड टच के लिए जागरुक किया गया. उनके अधिकारों को बताया गया. ट्रैफिक की जानकारी दी गई. इसके साथ-साथ सवा लाख बच्चों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी गई. इस सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग में बच्चों को खासकर लड़कियों को जूडो-कराटे की पारंपरिक ट्रेनिंग देने के बजाय कैसे किसी मुसीबत में फंसने पर हेयर क्लिप, पेन, चुन्नी, कंगन का प्रयोग कर अपनी रक्षा की जा सकती है, सिखाया गया.

    पौने 2 साल की महासमुंद जिले में किए गए प्रयासों का नतीजा था कि वहां 30 से 40 फीसदी अपराध में कमी आई और साल 2018 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संतोष सिंह को Champions Of Change का अवॉर्ड दिया. कप्तान बनने से पहले संतोष सिंह रायगढ़ में एसपी बनाए गए. रायगढ़ में एसपी रहते हुए कोरोना की पहली लहर आई तो प्रवासी मजदूरों गरीबों की मदद के लिए करीब एक लाख खाने के पैकेट बांटे.

    रायगढ़ (Raigarh) में कोरोना के दौरान मास्क पहनने को लेकर संतोष सिंह ने विशेष अभियान चला दिया. पहली लहर के दौरान रक्षाबंधन आया तो तमाम औद्योगिक प्रतिष्ठानों व संस्थाओं की मदद से एक रक्षा सूत्र मास्क का.. अभियान चलाया और 1 दिन में 12 लाख 37 हजार मास्क बांटकर रिकॉर्ड बनाया.

    रायगढ़ की तैनाती के दौरान ही संतोष सिंह को क्राइम कंट्रोल के लिए तीन बार इंद्रधनुष अवॉर्ड भी दिया गया. 3 महीने पहले छत्तीसगढ़ के इंडस्ट्रियल टाउन कहे जाने वाले कोरिया में संतोष सिंह को कप्तान बना कर भेजा गया है. कोरिया में ढाई महीने के अंदर ही नशे के कारोबार पर नकेल कसने के लिए निजात अभियान चला रखा है.

    इस अभियान के तहत 2 महीने में करीब ढाई सौ लोगों को नशा तस्करी करने के आरोप में जेल भेजा जा चुका है. गरीब मजदूर पेशा लोगों को नशे की लत लगाकर ड्रग्स सप्लाई करने वाले नशे के कारोबारियों से लेकर कैरियर को तक जेल भेजा जा रहा है. संतोष सिंह का कहना है कि नए समय की डिमांड है, अब क्राइम डिटेक्शन के साथ क्राइम प्रिवेंशन पर भी जोर देना होगा, कम्युनिटी पुलिसिंग से ही अपराध रोका जा सकता है.

    आईपीएस अमित कुमार
    जिस दूसरे आईपीएस अफसर को अमेरिका का यह प्रतिष्ठित आईएसीपी 40 अवॉर्ड दिया जाना है, वह यूपी कैडर के आईपीएस अमित कुमार हैं. अमित कुमार 2015 बैच के आईपीएस अफसर हैं. वर्तमान में चंदौली के एसपी हैं. मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले अमित कुमार के पिता सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद से रिटायर हुए.

    इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के साथ-साथ आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए करने के बाद अमित कुमार ने कुछ महीने अमेरिका के लॉस एंजिलिस की एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में काम भी किया, लेकिन एक आईपीएस बनने के लिए अमित कुमार ने मोटी तनख्वाह वाली अमेरिकी नौकरी को छोड़ दिया और खाकी पहन ली.

    भाई और मां के साथ IPS अमित कुमार
    अमित कुमार लंबे समय तक लखनऊ में एसपी ट्रांस गोमती, एडिशनल डीसीपी ईस्ट के पद पर रहे. लखनऊ में तैनाती के दौरान अमित कुमार ने एक ऐसे वाहन चोर गैंग का खुलासा किया जो बीएमडब्ल्यू, ऑडी जैसी लग्जरी गाड़ियों को ऑन डिमांड चोरी करता था. फिर टोटल लॉस में गई गाड़ी के कागजात के सहारे इन लग्जरी गाड़ियों को देश के तमाम हिस्सों में बेचा जा रहा था. अमित कुमार इस पूरे गैंग का खुलासा करने वाली टीम को लीड कर रहे थे.

    इस गैंग से 15 करोड़ की कीमत वाली 112 लग्जरी गाड़ियां बरामद हुईं. लखनऊ में अमित कुमार के इस ऑपरेशन को देश के सबसे बड़े ऑपरेशन और सबसे बड़ी रिकवरी मानी गई. इस खुलासे के बाद तमाम इंश्योरेंस कंपनियों को भी अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव करना पड़ा. टोटल लॉस में बेची जाने वाली गाड़ी के कागजी खानापूर्ति के नियम बदलने पड़े.

    वर्तमान में अमित कुमार वाराणसी से सटे चंदौली जिले के कप्तान हैं. चंदौली में बतौर एसपी काम करते हुए कई शातिर अपराधी जो सालों से पुलिस की गिरफ्त से बाहर थे उनको सर्विलांस की मदद से गिरफ्तार किया. अमित कुमार के छोटे भाई सेना में मेजर हैं.

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