नई दिल्ली । संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सरकार ने विपक्ष के भारी विरोध और शोरगुल के बीच कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए। विपक्ष इन विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए इसे कार्पोरेट के हित में बताते हुए विरोध कर रहा था।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश किया। सरकार ने पूर्व में 5 जून को अध्यादेश जारी किए थे, यह तीनों विधेयक को उन संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सरलीकरण) विधेयक में कृषि उपज के अंतरराज्यीय व्यापार के बारे में प्रावधान किये गए हैं। फिलहाल किसी राज्य का किसान दूसरे राज्य में अपने उपज नहीं बेच सकता है।
विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 कृषि सेवाओं के लिए कृषि व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ जुड़ते समय किसानों को बचाने और सशक्त बनाने वाले खेती के समझौतों पर एक राष्ट्रीय रूपरेखा प्रदान करता है।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है। इससे निजी निवेशकों के अपने व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक विनियामक हस्तक्षेप की आशंका दूर हो जाएगी।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार को उस पर कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। इस कानून से कृषि प्रधान राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार की मंशा इस कानून के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खाद्य सुरक्षा की व्यवस्था को कमजोर करने की है। उन्होंने कहा कि किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं और इसलिए सरकार को यह विधेयक पेश नहीं करना चाहिए। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार इस विधेयक को लाकर राज्यों के अधिकारों पर चोट कर रही है।
तोमर ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस विधेयक के जरिए लंबे समय बाद कृषि और किसानों की स्थिति में बड़ा बदलाव आने वाला है। किसी भी वस्तु या सेवा के अंतरराज्यीय व्यापार के लिए कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को है। राज्यों को राजस्व नुकसान के बारे में तोमर ने कहा कि अपनी मंडियों के लिए कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास सुरक्षित रहेगा। यह विधेयक मंडी की सीमा के बाहर के व्यापार पर असर डालेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इससे एमएसपी के प्रावधानों पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अब तक किसान अपनी उपज नजदीकी मंडी में बेचने के लिए विवश था। अब उसे इससे आजादी मिल जायेगी।
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