वाशिंगटन। अंतरिक्ष में साल 2014 में पहला उल्कापिंड पृथ्वी से टकराया था, वह हमारे सौरमंडल से बाहर से आया था। यह सौरमंडल के बाहर से आकर किसी पिंड के पृथ्वी से टकराने की पहली घटना थी।
अब तक यह माना जाता था कि 2017 में ‘ओमुआमुआ’ नामक उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने वाली पहली बाह्य खगोलीय चट्टान थी। लेकिन नई खोज के मुताबिक ऐसा तीन साल पहले ही हो चुका था। हाल ही में स्थापित अमेरिकी स्पेस कमांड (USSC) ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इसका दावा तीन साल पहले से ही किया जा रहा था। लेकिन आंकड़े जारी नहीं किए गए थे।
विभाग ने कहा कि साल 2014 में एक और पिंड पृथ्वी से टकराया था, जिसे दूसरे सौरमंडल से आने वाला पहला पिंड बताया जा रहा था। लेकिन इसका प्रमाण नहीं मिला पाया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के दो खगोलविदों आमिर सिराज और अब्राहम लोएब ने यह पता लगाया था कि साल 2014 में पृथ्वी से टकराने वाली चट्टान वास्तव में दूसरे तारे के तंत्र से आई थी। अमेरिकी अंतरिक्ष विभाग ने पाया कि इस उल्का की गति और परिपथ से पता चला है कि इसका स्रोत सौरमंडल से बाहर का था।
शोध पर विवाद
डॉ. सिराज और डॉ. लोएब ने 2019 में एक शोध पत्र में दावा किया था कि 2014 की घटना ही पहली घटना थी जिसमें बाह्य अंतरिक्ष की कोई वस्तु पृथ्वी से टकराई। उस शोध में दोनों वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि वे 99.99 फीसदी आश्वस्त हैं कि यह बाह्य खगोलीय घटना थी। लेकिन यह शोध प्रकाशित नहीं हो सका, क्योंकि इसका आधार अमेरिकी रक्षा विभाग से मिला डेटा था और अन्य वैज्ञानिक इस पर भरोसा नहीं कर रहे थे। लेकिन एक मार्च को अमेरिकी स्पेस कमांड ने एक मेमो जारी किया था। इस मेमो पर यूएस स्पेस ऑपरेशंस कमांड के मुख्य वैज्ञानिक जोएल मोएत्सर ने मुहर लगाई।
अब तक टकरा चुके हैं 45 करोड़ उल्कापिंड
अपने शोध में डॉ. सिराज और डॉ. लोएब ने बताया कि पृथ्वी के जन्म से अब तक ऐसे 45 करोड़ पिंड हमारे ग्रह से टकरा चुके हैं। वे कहते हैं कि ऐसी घटना एक दशक में करीब एक बार होती है। वे यह भी दावा करते हैं कि ऐसे पिंड पृथ्वी के बाहर कहीं जीवन होने के सुबूत भी ला सकते हैं।
एलियन तकनीक का वजूद
अब्राहम लोएब ने दावा किया कि साल 2017 में पृथ्वी पर गिरा ‘ओमिआमुआ’ कोई पिंड नहीं, बल्कि किसी एलियन तकनीक का हिस्सा था। हालांकि, अधिकतर वैज्ञानिकों ने उनकी इस बात से असहमति जताई है। आमिर सिराज के वह चाहते हैं कि यदि एलियन तकनीक की बात में जरा भी सच्चाई है तो 2014 में गिर पृथ्वी पर गिरे पिंड के अवशेषों को समुद्र से निकाला जाए। ताकि उनका गहन अध्ययन किया जा सके।
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