नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने घर खरीददारों (Home Buyers)से कथित तौर पर 11 करोड़ रुपये (Rs.11 Crore) ठगनेवाले दो लोगों (Two People)गिरफ्तार किया (Arrested) है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। इन आरोपियों की पहचान अक्षय जैन और प्रतीक जैन के रूप में हुई है, जिन्हें शुक्रवार को पुलिस हिरासत में लिया गया।
मामले की जानकारी देते हुए डीसीपी (आर्थिक अपराध शाखा) एम.आई. हैदर ने कहा कि शिकायतकर्ताओं या पीड़ितों ने बताया कि मंजू जे होम्स लिमिटेड के निदेशकों ने उन्हें उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित अपनी प्रस्तावित आवास परियोजना ‘रेड एपल होमज’ में फ्लैट बुक करने के लिए प्रेरित किया।
तो वहीं 2012 में फ्लैटों की बुकिंग के समय, पीड़ितों को आश्वासन दिया गया था कि वादा किए गए फ्लैटों को उन्हें 3 साल के अंदर सौंप दिया जाएगा।हालांकि, आज तक, साइट पर निर्माण पूरा नहीं हुआ है और बिल्डर कंपनी ने बैंकों को ईएमआई देना बंद कर दिया है।
अधिकारी ने कहा कि अब तक 11 करोड़ रुपये की 51 शिकायतकर्ताओं ने ईओडब्ल्यू से संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि इनमें से कई शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि हालांकि उनके आवेदनों पर ऋण स्वीकृत किया गया, लेकिन उनकी जानकारी के बिना कई दस्तावेजों पर जाली हस्ताक्षर कर बिल्डर को ऋण राशि वितरित की गई थी।
प्रारंभिक जांच के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 409, 420, 467, 471 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जांच में पता चला कि आवासीय परियोजना की जमीन आरोपी बिल्डर कंपनी के नाम दर्ज है।सीआरपीसी की धारा 102 के तहत संबंधित जिला कलेक्टर, सब-रजिस्ट्रार, एसडीएम, तहसीलदार, जीडीए, आदि को एक नोटिस भेजा गया, जिसमें अनुरोध किया गया कि परियोजना की भूमि का इस्तेमाल निवेशकों को धोखा देने के लिए किया गया था और आगे कोई हस्तांतरण या निर्माण नहीं किया गया। उसी पर तीसरे पक्ष के अधिकार की अनुमति दी जाए।
अधिकारी ने कहा, “गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से प्राप्त जवाब से पता चला है कि परियोजना की अनुमति दिसंबर, 2015 में दी गई थी और उसके बाद अग्निशमन विभाग, पर्यावरण विभाग और नगर निगम से अनुमति प्राप्त की जानी थी।” हालांकि, शिकायतकर्ताओं और पीड़ितों की जांच से पता चला है कि बिल्डर कंपनी ने परियोजना की मंजूरी से पहले 2012 से निवेशकों से धन इकट्ठा करना शुरू कर दिया था, साथ ही बिल्डर कंपनी ने इमारतों के ढांचे को खड़ा कर दिया और निर्माण 2015 में रोक दिया गया था। वर्तमान में परियोजना स्थल को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के लाइसेंस की शर्त के उल्लंघन के आरोप में सील कर दिया गया था।
अधिकारी ने कहा, “जांच से यह भी पता चला है कि आरोपी प्रतीक जैन और अक्षय जैन ने अन्य सह-आरोपी विजयंत जैन और राजकुमार जैन के साथ मिलकर एक कंपनी शुरू की थी और लोगों को ठगने के लिए रेड एपल होमेज नाम की एक परियोजना शुरू की थी।पुलिस के अनुसार, दोनों आरोपी शुरूआती चरणों में जांच में शामिल होने के बाद जांच से बचने लगे।” डीसीपी ने कहा, “दोनों आरोपियों को 25 मार्च को गिरफ्तार किया गया और उन्हें एक दिन के पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया गया था।”
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