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6 साल में ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार की ढाई हजार शिकायतें

July 02, 2022

  • एफआईआर के अलावा संदेहास्पद लेन देन के मामले भी सालों से पेंडिंग पड़े हुए हैं

उज्जैन। आर्थिक अपराध शाखा में पिछले 6 सालों में लगभग ढाई हजार शिकायतें भ्रष्टाचार की हुई है। विभाग इनमें से लगभग 350 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर पाया है। इन मामलों की जाँच भी लंबित चल रही है। इसके अलावा 500 अपराध भी अलग-अलग मामलों में दर्ज हुए हैं। इनमें संदेहास्पद लेन-देन के 300 से अधिक केस शामिल हैं। प्रत्येक 12 वर्षों में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन उज्जैन में होता है। इस दौरान शासन की ओर से करोड़ों के काम मंजूर होते हैं। ज्यादातर काम सिंहस्थ मेला क्षेत्र में श्रद्धालु और साधु संतों के पांडाल बनाने, वहाँ पेयजल, शौचालय और सुविधाघरों की व्यवस्था करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सिंहस्थ क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण के लिए भी बड़ी तैयारियाँ करनी पड़ती है। इसके लिए नए मार्गों का चौड़ीकरण, ब्रिज और रेलवे ओव्हर ब्रिज निर्माण सहित कई बड़े कार्य होते हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र में सबसे बड़ी व्यवस्था पेयजल उपलब्ध कराने और करोड़ों लोगों के स्नान आदि के लिए सुविधाघर और शौचालय निर्माण कराना रहता है।


हर बार सिंहस्थ निपटने के बाद इससे संबंधित कार्यों में करोड़ों के घोटाले सामने आते रहते हैं। सिंहस्थ 1992 हो या फिर 2004 या फिर 2016 ऐसा कोई सिंहस्थ महापर्व नहीं गुजरता जब संबंधित विभागों पर निर्माणों को लेकर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगते हैं। पिछले सिंहस्थ में भी कई घोटाले चर्चाओं में रहे। इनमें 1500 करोड़ का खरीदी घोटाला, 40 करोड़ का दवा खरीदी घोटाला, 300 करोड़ का स्मार्ट सिटी टेंडर या ई टेंडरिंग घोटाला शामिल हैं। इसके अलावा पिछले सिंहस्थ में तो पीएचई नगर निगम के प्लास्टिक की पानी की टंकी और लोहे के स्टैण्ड गायब होने का कांड खासा चर्चा में रहा। विधायकों ने इसके लिए विधानसभा में प्रश्न उठाए थे। इसी तरह पूरे सिंहस्थ क्षेत्र में सड़कों को रोशन करने के लिए 20 से 25 करोड़ की एलईडी लाईटें लगवाई गई थी। सिंहस्थ निपटने के बाद यह लाईटें खंबों से गायब हो गई थी। नगर निगम के कांग्रेस जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को पिछले बोर्ड में उठाया था और अधिकारियों की टीम के साथ मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन तक करवाया था। बाद में यह मामला भी ईओडब्ल्यू में दर्ज हो गया था। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी कई शिकायतें की गई थी और ईओडब्ल्यू द्वारा पूरी जाँच के बाद ही प्रकरण दर्ज किया जाता है। बड़ी बात यह है कि अधिकांश शिकायतों में प्रकरण दर्ज होने के बाद सजा नहीं होती जो कि साक्ष्य के अभाव में होता है।

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