मुंबई। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के फाउंडर और सीईओ जैक डोर्सी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट सस्पेंड करने के फैसले का बचाव किया है। जैक डोर्सी ने कहा कि हमारे सामने असामान्य और मुश्किल परिस्थितियां थीं जिसकी वजह से हमें अपना पूरा ध्यान लोगों की सुरक्षा पर केंद्रित करना पड़ा।
डोर्सी ने अपनी मजबूरियां बताने के साथ बैन के फैसले को लेकर अफसोस भी जाहिर किया है। जैक डोर्सी ने कहा कि ट्रंप के अकाउंट पर बैन लगाना एक तरह से ट्विटर की असफलता भी है क्योंकि हम इस प्लैटफॉर्म पर स्वस्थ संवाद को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा सके।
छह जनवरी को ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया था और घंटों चले उपद्रव के दौरान पांच लोगों की जानें चली गई थीं। छह जनवरी को कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन की जीत पर मुहर लगाने वाली थी जिसे रोकने के लिए ट्रंप समर्थकों ने हिंसा की। इन घटनाक्रमों के बाद, ट्विटर ने ट्रंप के अकाउंट को स्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया था। ट्विटर के बैन लगाने के बाद फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और यूट्यूब ने भी नागरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए ट्रंप पर बैन लगा दिया।
ट्विटर के सीईओ ने ट्रंप के अकाउंट को बैन करने के फैसले को लेकर कई ट्वीट किए हैं। जैक डोर्सी ने कहा कि वो इस बैन का ना तो कोई जश्न मना रहे हैं और ना ही इसमें किसी तरह का गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप को कई बार स्पष्ट रूप से चेतावनी दिए जाने के बाद ही उनके ट्विटर अकाउंट को हटाया गया।
ट्विटर के सीईओ ने ये बात भी मानी कि इस बैन के मुक्त और स्वतंत्र इंटरनेट के लिहाज से कई दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “इस तरह की कार्रवाई से जनसंवाद में बाधा पैदा होती है और ये हमें बांटता है। इससे वैश्विक संवाद के एक हिस्से पर किसी एक व्यक्ति या कंपनी का नियंत्रण मजबूत होता है और मुझे लगता है कि ये खतरनाक है।”
डोर्सी ने कहा, “अभी तक ट्विटर जैसे प्लैटफॉर्म की शक्तियों और उत्तरदायित्व को लेकर संतुलन बना हुआ था क्योंकि ये इंटरनेट का एक छोटा सा हिस्सा है। अगर लोग हमारे नियमों से सहमत नहीं होते हैं तो वे आसानी से दूसरी इंटरनेट सेवाओं का रुख कर सकते हैं। इससे हमारी ताकत सीमित थी। लेकिन पिछले सप्ताह इस अवधारणा को नुकसान पहुंचा जब तमाम इंटरनेट टूल प्रोवाइडर्स ने अपने प्लैटफॉर्म पर कुछ चीजों को खतरनाक समझते हुए बैन लगाने का फैसला किया। मुझे नहीं लगता है कि सभी कंपनियों ने एक-दूसरे से बातचीत करके ऐसा फैसला किया बल्कि कंपनियां खुद इस नतीजे पर पहुंचीं। मुझे लगता है कि दूसरी कंपनियों की कार्रवाई से उनका हौसला बढ़ा।”
ट्विटर बॉस ने आगे कहा, ‘किसी एक पल में बैन सही हो सकता है लेकिन लंबे वक्त में ये मुक्त इंटरनेट व्यवस्था के आदर्श के लिए विनाशकारी साबित होगा।’ डोर्सी ने कहा कि किसी कंपनी की तरफ से होने वाले रेगुलेशन और सरकार की सेंसरशिप में अंतर है लेकिन कई बार दोनों एक जैसे ही लग सकते हैं।
ट्विटर के सीईओ ने कहा कि हमें ये बात माननी होगी कि ये वक्त अनिश्चितताओं और संघर्ष से युक्त है लेकिन हमारी कोशिश यही रहेगी कि हम दुनिया में लोगों के बीच आपसी समझ बढ़ाने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित कर सकें। हमें और ज्यादा पारदर्शी होना पड़ेगा।
ट्रंप के अकाउंट पर स्थायी रूप से बैन लगाने के बाद ट्विटर पर सेंसरशिप के आरोप लग रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि अब मुठ्ठी भर लोग मिलकर ये तय करेंगे कि इंटरनेट पर किसे अपनी बात रखने का अधिकार होगा और किसे नहीं। कई लोगों का कहना है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन भी होता है। हालांकि, अधिकतर दिग्गज टेक कंपनियों का तर्क है कि चूंकि वे एक निजी कंपनी हैं इसलिए जब वे अपने प्लैटफॉर्म पर मॉडरेशन की कोशिश करते हैं तो उन पर ये कानून लागू नहीं होते हैं।
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