इस्तांबुल। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग(Russia Ukraine War) में अब तुर्की (Turkey) भी खुलकर सामने आ गया है. दोनों देशों के बीच तटस्थ बने रहने की कोशिश कर रहे तुर्की ने अमेरिका (US) के दबाव में रूस के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Turkish President Recep Tayyip Erdogan) ने कहा है कि वे अंतर्राष्ट्रीय नियमों को लागू करने के लिए बाध्य हैं, इसलिए तुर्की जंग में शामिल देश के सैन्य जहाजों की मेडिटेरेनियन (Mediterranean) से ब्लैक सी में एंट्री बैन कर रहा है. हालांकि, एर्दोगन ने कहा कि तुर्की दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को खराब नहीं करेगा.
बता दें कि 1936 में हुए मॉन्ट्रो कन्वेंशन (Montreux Convention) के तहत तुर्की को यह अधिकार मिलता है कि वह जंग के हालात में डार्डानेल्स और बोस्पोरस (Black Sea) से गुजरने वाले युद्धपोतों (warships) पर रोक लगा सकता है. बता दें कि यूक्रेन ने तुर्की से रूसी सैन्य जहाजों पर रोक लगाने की अपील की थी.
इसलिए रूस के खिलाफ नहीं जाना चाहता तुर्की
तुर्की चाहकर भी रूस के खिलाफ नहीं जा सकता. इसके 4 मुख्य कारण हैं. पहला तो यह की तुर्की ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का सौदा किया है और इसे सही तरह से इस्तेमाल करने के लिए उसे भविष्य में भी रूस की जरूरत होगी. यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुनिया भर में सबसे ज्यादा सफल और ताकतवर मानव जाता है. भारत-चीन समेत 5 देशों ने रूस से इस हथियार को खरीदने का सौदा किया है.
नाटो देशों का सदस्य होने और अमेरिका की नाराजगी के बावजूद तुर्की ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का फैसला लिया. हालांकि, इस फैसले के कारण उसे अमेरिका के प्रतिबंध भी झेलने पड़े, लेकिन फिर भी तुर्की पीछे नहीं हटा. दूसरा कारण आर्थिक संबंधों से जुड़ा हुआ है. दोनों देशों के बीच काफी गहरे आर्थिक रिश्ते हैं. तुर्की इसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता. हालांकि, नाटो का सदस्य होने के चलते वह यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा कर चुका है. तीसरा कारण एनर्जी इंपोर्ट से जुड़ा हुआ है. तुर्की, अपनी एनर्जी की जरूरतों का एक बड़ा भाग रूस से खरीदता है. इसके अलावा एक और कारण टूरिज्म सेक्टर से जुड़ा हुआ है. हर साल रूस से लाखों ट्रैवलर्स घूमने के लिए तुर्की जाते हैं, जिससे तुर्की के टूरिज्म सेक्टर को काफी फायदा होता है.
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