अंकारा (ankara)। भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) के दौरान भारत ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इस दौरान भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Corridor) पर सहमति बनी है। अभी इस कॉरिडोर का एक भी पत्थर नहीं रखा गया है, लेकिन इसका विरोध शुरू हो गया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सोमवार को इस गलियारे का विरोध किया। क्योंकि यह गलियारा सीधे तुर्की को बायपास करता है। एर्दोगन ने कहा, ‘हम कहते हैं कि तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता।’
“Tek Dünya, Tek Aile ve Tek Gelecek” temasıyla gerçekleştirilen 18’inci G20 Liderler Zirvesi’ni Hindistan’ın ev sahipliğinde tamamladık. #G20India… pic.twitter.com/7IsprqxdzN
— Recep Tayyip Erdoğan (@RTErdogan) September 10, 2023
Hindistan’ın ev sahipliğinde “Tek Dünya, Tek Aile, Tek Gelecek” ana temasıyla düzenlenen 18. G20 Liderler Zirvesi kapsamında Cumhurbaşkanımız @RTErdogan‘ın ikili görüşmeleri. pic.twitter.com/oIrY7WqNjU
— T.C. Cumhurbaşkanlığı (@tcbestepe) September 10, 2023
तुर्की जमीन के जरिए यूरोप से जुड़ा है, इस कारण एर्दोगन यह मान कर चल रहे हैं कि बिना उसके यूरोप तक नहीं जाया जा सकता। हालांकि यह बात सही भी है। कई सदियों पुराना इतिहास बताता है कि तुर्की का भूगोल यूरोप तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण है। एशिया के व्यापारी यूरोप और यूरोप के व्यापारी सदियों तक इसी रास्ते से आते-जाते रहे हैं। लेकिन भारत तुर्की पर भरोसा करके नहीं चल सकता। क्योंकि उसका झुकाव हमेशा पाकिस्तान की तरफ रहा है, जो भारत को मध्य एशिया तक पहुंचने नहीं देता। ऐसे में मित्र देशों के जरिए एक रास्ता भारत के लिए बेहद जरूरी है।
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