नई दिल्ली (New Delhi) । भारत (India) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (united nations human rights council) की बैठक (meeting) में एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) को आईना दिखाया। भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से नामित आतंकियों (terrorists) और अन्य आतंकी संगठनों (terrorist organizations) के संरक्षण की पाक पसंदीदा जगह है। पाक की आतंकियों की मेजबानी की नीतियों के कारण वह सीधे तौर पर दुनिया में हजारों नागरिकों की मौत का जिम्मेदार है। हैरानी की बात यह थी कि तुर्की ने भी पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया और भारत के खिलाफ जगर उगल डाला। जी हां, ये वह तुर्की है जहां भूकंप से मची तबाही के बीच उसकी मदद के लिए हिन्दुस्तान आगे आया था। ऐसे में भारत ने तुर्की को भी साफ शब्दों कड़ा संदेश भेजा।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी ) में पाकिस्तान के बयान के जवाब के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए भारत ने उसे कड़ी फटकार लगाई। हिन्दुस्तान ने कहा कि पाक को अपने देश की कोई चिंता नहीं है। वह अपनी ऊर्जा अंतरराष्ट्रीय आतंकियों के संरक्षण और उनकी मेजबानी पर खर्च कर रहा है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान के पास यूएनएससी नामित आतंकियों और आतंकी संगठनों की सबसे अधिक संख्या में मेजबानी करने का अनूठा गौरव प्राप्त है। ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान की प्रमुख सैन्य अकादमी के बगल में रहता था। इसकी सुरक्षा एजेंसियों ने दशकों से हाफिज सईद और मसूद अजहर का का पोषण, सुरक्षा और आश्रय दिया है।
अपने देश की ओर ध्यान दे पाक: सीमा पुजानी
भारत की राजनयिक सीमा पुजानी ने कहा कि पाक के नेताओं और अधिकारियों को अपने देश के लोगों की आजीविका, स्वतंत्रता पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन पाक इस ओर ध्यान देने के बजाय पूरे जूनून से गलत प्राथमिकताओं को तरजीह दे रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने एक बार फिर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए गलत मंच चुना है। पुजानी ने कहा कि मानवाधिकारों पर पाक की ओर से बात करना एक बड़ा मजाक है। इस देश में आवाज उठाने वाले गायब हो जाते हैं। पिछले एक दशक में पाक जांच आयोग को 8463 लोगों के गुम होने की शिकायत मिली है। पुजानी ने कहा कि पाक में अहमदिया समुदाय, ईसाई अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किसी से छिपा नहीं हैं। कट्टरपंथी जबरन उनका धर्म बदलवा रहे हैं। पाक में ऐसे मामलों के खिलाफ नेता- अधिकारी आवाज नहीं उठाते, जो बेहद चौंकाने वाला है।
तुर्की को भारत की नसीहत
तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान का साथ देते हुए आरोप लगाया कि वह जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। इस टिप्पणी पर भारत की प्रतिनिधि ने यूएनएचआरसी में तुर्की को लताड़ लगाई और कहा कि वह भारत के आंतरिक मामलों में अनावश्यक बयानों से बचें। भारत ने कहा कि हम तुर्की को सलाह देते हैं वो अनावश्यक टिप्पणी करने से परहेज करे। पुजानी ने पाक को जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख भारत का हिस्सा थे और रहेंगे। भारत के क्षेत्र पीओके पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। उन्होंने कहा कि इस्लामी सहयोग संगठन पाकिस्तान (ओआईसी) से प्रायोजित आतंकवाद छोड़ने और पीओके जो भारतीय क्षेत्र है, उसे कब्जामुक्त करने की बात कहने के बजाय पाक प्रायोजित बातें बोल रहा है और दुर्भावना प्रचार के लिए अपने मंच का उपयोग करने दे रहा है।
तुर्की की मदद पर उठने लगे सवाल
ध्यान रहे कि पिछले महीने तुर्की में प्रलयकारी भूकंप आया था, उस दौरान भारत सबसे पहले प्रतिक्रिया करने वाले देशों में शामिल रहा। भारत की ओर से तुरंत NDRF सर्च एंड रेस्क्यू टीम, डॉग स्क्वॉड, मेडिकल सप्लाई, ड्रिलिंग मशीन और अन्य उपकरण तुर्की भेजे गए। शनिवार को ही अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिकों की ओर से तुर्की व सीरिया में भूकंप पीड़ितों के लिए 3,00,000 डॉलर से अधिक धनराशि जुटाने की खबर आई है। ‘अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडियन ऑरिजिन’ (एएपीआई) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हेमंत पटेल की अगुवाई में कई भारतीय अमेरिकियों ने 2,30,000 डॉलर से अधिक निधि जुटाई है। इन सबके बीच तुर्की ने जिस तरह से भारत को धोखा दिया है, उससे गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। अब तो यह भी पूछा जाने लगा है कि क्या तुर्की भारत की इस उदारता के लायक ही था या नहीं?
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