टर्की। टर्की के राष्ट्रपति रचप तैयप एर्दवान ने शुक्रवार को देशवासियों को खुशखबरी देने का वादा किया है। टर्की के राष्ट्रपति ने कहा है कि इस खुशखबरी से देश में एक नए युग की शुरुआत होगी। हालांकि, एर्दवान के भूमध्यसागर के विवादित जल क्षेत्र में ऊर्जा के भंडार की खोज जारी रखने की वजह से यूरोपीय यूनियन के साथ विवाद और गहरा गया है।
टर्की के राष्ट्रपति के ऐलान के बाद डॉलर के मुकाबले टर्की की मुद्रा लीरा में उछाल देखने को मिला। टर्की पेट्रोल रिफाइनरीलेरी एएस (तुप्रास) और पेट्रोलियम मैन्युफैक्चरर पेटकिम पेट्रोकिमया होल्डिंग के शेयर्स की कीमतें भी 7.6 और 9.9 फीसदी तक बढ़ गईं।
टर्की के ऊर्जा मंत्री फतीह डोनमेज ने बताया कि पिछले महीने ड्रिलिंग शिप फतीह ने टर्की के एरेगिल के नजदीक तटीय इलाके में टूना-1 जोन में खुदाई शुरू की थी। ब्लूबे एसेट के एक रणनीतिकार तिमोथी एश ने ट्विटर पर लिखा, पहले भी काला सागर में गैस भंडार खोजे गए हैं लेकिन सीमित पैमाने पर. टर्की के 35-50 अरब डॉलर के सालाना तेल-गैस आयात बिल को देखते हुए अगर कोई बहुत बड़ा भंडार मिलता है तो टर्की की किस्मत बदल सकती है।
टूना-1 टर्की के समुद्री तट से करीब 150 किमी की दूरी पर है और बुल्गारिया और रोमानिया की समुद्री सीमाओं के नजदीक है। ये इलाका रोमानिया के नेप्टून ब्लॉक से भी ज्यादा दूर नहीं है। नेप्टून ब्लैक काला सागर में आठ साल पहले खोजा गया विशाल गैस भंडार है। टर्की नेवी की वेबसाइट के मुताबिक, टर्की की ड्रिलिंग शिप फतीह टूना-1 में जुलाई महीने से खुदाई कर रही है।
मार्केल एनर्जी कंसल्टेंसी के प्रबंध निदेशक क्रिस्टोफ मार्केल ने कहा, मुझे नहीं लगता कि वहां से किसी भंडार मिलने की खबर आना बहुत हैरान करने वाला है। अगर टर्की इस गैस का निर्यात करने की सोचता है तो बुल्गारिया, यूक्रेन और ग्रीस भी इसमें काफी दिलचस्पी लेंगे। टर्की की ये खोज ऐसे वक्त में आई है जब पूर्वी भूमध्यसागर में उसका ग्रीस और साइप्रस के साथ क्षेत्रीय विवाद चल रहा है। इस इलाके में टर्की ने तेल और गैस भंडार को लेकर अभियान तेज कर दिया है। फ्रांस ने भी टर्की को रोकने के लिए अस्थायी तौर पर अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है। जर्मन चांसलर एजेंला मार्केल ने बुधवार को कहा कि यूरोपीय यूनियन क्षेत्र में बढ़े तनाव को लेकर चिंतित है।
पिछले सप्ताह ग्रीस ने मिस्त्र के साथ समुद्री परिसीमन समझौते का ऐलान कर दिया था जिसके बाद जर्मनी की मध्यस्थता में हो रही ग्रीस-तुर्की की वार्ता नाकाम हो गई। इन घटनाक्रमों के बीच टर्की ने भूमध्यसागर में फिर से तेल-गैस भंडार का पता लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया है। टर्की के राष्ट्रपति एर्दवान ने कहा कि यूरोपीय यूनियन के दबाव की वजह से वो अपना रुख नहीं बदलेंगे।
भूमध्यसागर के द्वीपों में गैस-तेल भंडार पर दावे को लेकर टर्की का सबसे ज्यादा विवाद साइप्रस के साथ है। रिपब्लिक ऑफ साइप्रस यूरोपीय यूनियन का सदस्य देश है और पूरे द्वीप पर आधिकारिक संप्रुभता रखता है. हालांकि, टर्की ने 1974 में सैन्य अभियान के बाद इसके उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया था। स्वघोषित संप्रभुता वाले टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस को सिर्फ तुर्की से ही मान्यता प्राप्त है। दुनिया का कोई भी देश इसे मान्यता नहीं देता है। उत्तरी साइप्रस समुद्रीय ऊर्जा संसाधनों पर भी अपना दावा पेश करता है।
यूरोपीय यूनियन के नेताओं ने पूर्वी भूमध्यसागर में बने हालात पर चर्चा के लिए सितंबर महीने में एक आपात बैठक बुलाने का फैसला किया है। बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस में करीब 27 देशों के प्रमुख नेताओं ने ग्रीस और साइप्रस के साथ एकजुटता दिखाई और क्षेत्र में अवैध खनन की गतिविधियों का विरोध किया।
दरअसल, टर्की के राष्ट्रपति एर्दवान टर्की को क्षेत्रीय ताकत के तौर पर स्थापित करना चाह रहे हैं। सीरिया, लीबिया में संघर्ष से लेकर इराक में हमले तक, नाटो की दूसरी सबसे बड़ी आर्मी वाले सदस्य टर्की ने अपने ड्रोन, युद्ध विमानों और टैंकों से दखल दिया है। एर्दवान भूमध्यसागरीय देशों से एकजुट होने और अपने विवाद सुलझाने की अपील भी कर रहे हैं।
एर्दवान ने बुधवार को कहा कि भूमध्यसागर में टर्की का संघर्ष उसके अधिकारों को लेकर नहीं है बल्कि उसके भविष्य को लेकर है। टर्की की नौसेना ने कहा है कि उसने साइप्रस के उत्तर-पश्चिम में सैन्य अभ्यास करना शुरू कर दिया है।
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