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तुर्की ने अमेरिका, जर्मनी समेत 10 देशों के राजदूतों को देश से निकाला बाहर

October 24, 2021

अंकारा। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Turkish President Recep Tayyip Erdogan) ने अमेरिका(US), जर्मनी(Germany) समेत दुनिया के 10 देशों के राजदूतों को देश से निकलने का आदेश (Ambassadors of 10 countries ordered to leave the country)दिया है। इससे इस्लामिक देश (Islamic countries) और पश्चिमी देशों (western countries) के बीच तनाव (tensions )देखने को मिल सकता है। शनिवार को ही राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने अपने विदेश मंत्री को आदेश दिया दिया कि वह इन लोगों को वापस निकालने का आदेश जारी करें। इन राजदूतों को देश में ‘परसोना नॉन ग्रेटा’ यानी अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया गया है। दरअसल इन देशों की ओर से जेल में बंद सिविल सोसायटी लीडर ओसमान कवला की रिहाई की मांग की थी। इसकी प्रतिक्रिया के तौर पर ही तुर्की ने यह कदम उठाया है। इससे अमेरिका, जर्मनी समेत कई देशों से तुर्की के रिश्ते निचले स्तर पर जा सकते हैं।



आमतौर पर कोई भी देश राजदूतों को इस तरह से देश निकाला नहीं देता है, लेकिन एर्दोगन के फैसले से पता चलता है कि यह मामला किस हद तक तूल पकड़ सकता है। तुर्की में पिछले करीब 4 सालों से ओसमान कवला जेल में बंद हैं। ओसमान पर आरोप है कि उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए फंडिंग की थी। तुर्की के लिए यह सप्ताह खराब गुजरता दिख रहा है। हाल ही में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ओर से उसे ग्रे लिस्ट में डाला गया है। अब 10 देशों से एक साथ अदावत लेकर तुर्की एक नए विवाद में घिर सकता है।
एर्दोगन ने एक कार्यक्रम में ही 10 देशों के राजदूतों को देश छोड़ने का फरमान जारी कर दिया। इन राजदूतों को तुर्की ने निकलने के लिए दो दिनों का वक्त दिया है। इस पर यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। नॉर्वे ने कहा कि हमारे राजदूत ने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसके खिलाफ देश से बाहर निकालने वाली कार्रवाई को सही करार दिया जा सके। स्वीडन, नॉर्वे और नीदरलैंड की ओर से कहा गया कि अभी उन्हें देश छोड़ने के आदेश की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। एक तरफ नॉर्वे ने तुर्की के फैसले पर सवाल उठाया तो वहीं यह भी कहा है कि उसकी ओर से मानवाधिकारों और लोकतंत्र पर सवाल उठाना जारी रहेगा।

एर्दोगन ने खड़ी की तुर्की के लिए मुसीबत?
अमेरिका, नॉर्वे, जर्मनी जैसे 10 देशों की ओर से कहा गया था कि 2017 से ही जेल में बंद ओसमान कवाला के मामले में तेजी से कार्रवाई होनी चाहिए और कोई हल निकलना चाहिए। 2013 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने और 2016 में तख्तापलट की असफल कोशिश के आरोप में उन्हें जेल में डाला गया है। इस बीच तुर्की के राष्ट्रपति के इस बयान से तनाव की स्थिति बन सकती है। यही नहीं बाजार पर भी इसका असर दिख रहा है। डॉलर के मुकाबले तुर्की करेंसी लिरा में शनिवार को व्यापक गिरावट देखने को मिली है। पहले ही तुर्की मुसीबतों में घिरा हुआ है। डॉलर के मुकाबले इस साल लिरा में 20 फीसदी की गिरावट दिखी है, जबकि सालाना महंगाई दर भी अब 20 फीसदी के करीब है।

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