नई दिल्ली। तुर्किये में छह फरवरी को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। यह इतना जोरदार था कि पड़ोसी देश सीरिया तक हिल गया। इसके बाद दोनों देशों में जो तबाही हुई, उसकी तस्वीरों ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। इस प्राकृतिक आपदा ने नरसंहार का जो मंजर दिखाया, वह आने वाले कई सालों तक लोगों को झकझोरता रहेगा।
12 दिन पहले आए भूकंप से अब तक 46 हजार लोग मारे जा चुके हैं। इसमें तुर्किये में जान गंवाने वालों की संख्या 40,402 है, जबकि पड़ोसी सीरिया में 5,800 से अधिक लोगों की मौत हुई है। करीब 296 घंटों के राहत एवं बचाव कार्य के बाद अब यहां जिंदा बचे लोगों की उम्मीद न के ही बराबर है। ऐसे में आज(रविवार) रात से बचाव कार्य बंद होने की उम्मीद है।
बचाव कार्य बंद होने के बाद मलबे को तेजी से हटाया जाएगा। आशंका है कि इसके बाद मलबे के नीचे दबे लोगों के शव सामने आ सकते हैं, जिससे मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है। जानकारी के मुताबिक, इस भूकंप के बाद दोनों देशों में करीब तीन लाख घर तबाह को गए हैं। यानी शहर के शहर उजड़ गए हैं।
दक्षिणी तुर्किये का शहर कहरामनमारस भूकंप से सबसे प्रभावित शहरों में से एक है। यहां के एक कब्रिस्तान में हजारों नई कब्रों की वृद्धि हुई है। दूसरी तरफ तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री फहार्टिन कोका का कहना है कि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आंतों और श्वसन संक्रमण में वृद्धि हुई है।
भूकंप से गिरने वाली इमारतों के डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है। तुर्की प्रशासन ने इमारतों के ढहने के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति की जांच करने का वादा किया है और डेवलपर्स सहित 100 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लेने का आदेश दिया गया है।
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