इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) का दावा है कि अगर आतंकवादी संगठन (terrorist organization) तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ बातचीत फेल हो जाती है, तो कुख्यात हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) जो अब काबुल (Kabul) में ड्राइवर सीट पर है, उसका शिकार करेगा यानी उसे खत्म करेगा।कट्टरपंथी आतंकी संगठन टीटीपी और पाकिस्तान के बीच सुलह के लिए चल रही बातचीत के बीच ये चेतावनी सामने आई है। तालिबान सरकार के आंतरिक (गृह) मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। सिराजुद्दीन आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के भी मुखिया हैं। संयुक्त राष्ट्र हक्कानी नेटवर्क को एक आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है, जबकि अमेरिका ने सिराजुद्दीन हक्कानी को मोस्ट वांटेड आतंकी घोषित किया हुआ है। सूत्रों के अनुसार, हक्कानी नेटवर्क पर चीन की ओर से टीटीपी को कंट्रोल करने का दबाव है, जो पाकिस्तान में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) और उसके अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट के लिए एक बड़ा खतरा रहा है। चीन ने तालिबान से ये भी वादा किया है कि अगर वे अपने देश में उसके खिलाफ खड़े आतंकवादियों को खत्म करता है तो वो अफगानिस्तान में निवेश करेगा, लेकिन पहले उन्हें टीटीपी से निपटना होगा।
इस कारण से हक्कानी नेटवर्क मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है और टीटीपी और पाकिस्तानी सरकार के बीच बातचीत की सराहना कर रहा है। हक्कानी नेटवर्क ने टीटीपी और उसके उन सहयोगियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का वादा किया है, जो सुलह के लिए तैयार नहीं हैं। अफगानिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत मंसूर अहमद खान ने बताया कि जब हम किसी समस्या के समाधान के लिए जाते हैं, तो इससे निपटने के तरीके होते हैं। सैन्य कार्रवाई से निपटा जाएगा। आतंकवादी संगठनों के भीतर ऐसे तत्व हैं जो सुलह करने के इच्छुक हो सकते हैं और अन्य ऐसे हो सकते हैं, जिन्हें सैन्य कार्रवाई से निपटा जा सकता है. इमरान खान सरकार पहले ही 100 से अधिक टीटीपी आतंकवादियों, शीर्ष कमांडरों को रिहा करने के लिए सहमत हो गई है, जिसमें खूंखार आतंकवादी बूचर ऑफ स्वाट यानी कसाई मुस्लिम खान भी शामिल है, जिसे पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। उसे दो चीनी नागरिकों सहित 100 से ज्यादा लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया है। टीटीपी के अनुसार, कैदियों की रिहाई विश्वास बहाली के उपायों का पहला कदम है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, देशभर में एक महीने के संघर्ष विराम पर सहमति बनी है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। अगर वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ती है. लेकिन टीटीपी ने स्पष्ट कर दिया है, कि संघर्ष विराम टीटीपी सदस्यों की रिहाई के बाद प्रभावी होगा. टीटीपी का प्रतिनिधित्व उसके प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद के नेतृत्व में 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने किया है, जबकि पाकिस्तानी पक्ष का प्रतिनिधित्व सुरक्षा और आईएसआई अधिकारियों ने किया। लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री इमरान खान कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों के सामने आत्मसमर्पण कर रहे हैं, उससे पाकिस्तानी सहज नहीं हैं। रविवार को इमरान खान सरकार ने अपने हजार कैदियों को रिहा करने के बाद तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) से प्रतिबंध हटा दिया है। अब इमरान खान पाकिस्तान के सबसे खूंखार संगठन टीटीपी के सामने सरेंडर कर रहे हैं।
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