प्राधिकरण ने कलेक्टर को लिखा पत्र… दी गई अनुमतियां होंगी निरस्त… मामला प्रेस कॉम्प्लेक्स के पीछे स्थित बेशकीमती जमीन का
इंदौर। ग्राम खजरानी स्थित पौने 2 लाख स्क्वेयर फीट से अधिक की बेशकीमती जमीन प्राधिकरण की योजना 77 में शामिल रही है, जिसे श्रीमती इंदुबाला पंकजलाल गुप्ता सार्वजनिक पारमार्थिक ट्रस्ट को शर्तों के साथ छोड़ा गया था कि जमीन का उपयोग शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य के लिए ही भविष्य में किया जाएगा। मगर कुछ वर्षों के बाद जमीनी जादूगरों ने इस जमीन का व्यवसायिक उपयोग शुरू कर दिया और बकायदा नगर निगम तथा नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट से अनुमति हासिल कर ली। इस जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपए से कम नहीं है। लिहाजा प्राधिकरण सीईओ ने अभी कलेक्टर को पत्र लिखकर जारी की गई अनुमतियों को निरस्त करवाने का अनुरोध किया है। यह जमीन भू-अर्जन अधिकारी द्वारा पारित किए गए अवॉर्ड में भी शामिल है।
इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना 77 हालांकि अस्तित्व में नहीं आ पाई, मगर इस योजना में शामिल ग्राम खजरानी के खसरा नंबर 388/2/1, 388/2/2 एवं 388/2/3 की 1.684 हैक्टेयर भूमि, जो कि लगभग पौने 2 लाख स्क्वेयर फीट होती है, को प्राधिकरण की योजना 77 में शामिल रहने के चलते शर्तों के साथ मुक्त किया गया था। योजना क्र. 77 के संबंध में नगर सुधार न्यास विधान के तहत 13.08.76 को पहली विज्ञप्ति प्रकाशित की गई और फिर जब इंदौर विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई तो यह योजना उसमें भी समाहित हो गई और मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 के तहत प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें भू-अर्जन अधिनियम 1894 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करते हुए प्रकरण कलेक्टर इंदौर को भेजा गया, जिस पर प्राधिकरण प्रस्ताव के मुताबिक भू-अर्जन अधिकारी इंदौर ने 30.09.1988 को अवॉर्ड पारित कर दिया, जिसमें ट्रस्ट में शामिल उक्त जमीन भी रही। यह जमीन दरअसल श्रीमती इंदुबाला बंकटलाल गुप्ता सार्वजनिक पारमार्थिक ट्रस्ट 2/1, साउथ तुकोगंज, इंदौर तर्फे सतीशचंद्र पिता स्व. बंकटलाल गुप्ता द्वारा गठित न्यास के स्वामित्व और आधिपत्य की रही। 1.684 हैक्टेयर जमीन में से पहले 1 लाख 34 हजार स्क्वेयर फीट जमीन को एक या अधिक भागों में विक्रय करने की अनुमति रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट से भी मांगी गई और बाद में फिर पूरी जमीन की अनुमति व्यवसायिक उपयोग के लिए हासिल कर ली गई। प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने अभी 18 दिसम्बर को इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को पत्र लिखकर कहा कि ट्रस्ट के स्वामित्व और आधिपत्य की जमीन को योजना 77 के अर्जन से मुक्त शर्तों के साथ किया गया था। इसमें शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य का उपयोग ही निर्धारित किया गया और ट्रस्ट ने भी जो इकरारनामा प्राधिकरण के साथ किया उसमें भी यह शर्त मुख्य रूप से आरोपित की गई। प्राधिकरण बोर्ड ने भी जो संकल्प पारित किया, उसमें स्पष्ट कहा कि उक्त इकरारनामा ट्रस्ट के वर्तमान और भविष्य के पदाधिकारियों, उत्तराधिकारियों पर समान रूप से बंधककारक रहेगा। ट्रस्ट की इस जमीन का शैक्षणिक और स्वास्थ्य के लिए ही रहेगा और इन शर्तों के अलावा भविष्य में जो नियम या अन्य शर्तें अधिरोपित होगी वे भी ट्रस्ट को स्वीकार रहेगी। ट्रस्ट ने इस जमीन पर संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश से दिनांक 24.06.2013 को प्रोफेशनल ऑफिसेस एवं चैम्बर्स उपयोग का अभिन्यास मंजूर करवाया और नगर निगम से भी विकास अनुमति हासिल कर ली। लिहाजा प्राधिकरण ने अब कलेक्टर से कहा कि चूंकि प्राधिकरण और ट्रस्ट के बीच निष्पादित इकरारनामा, जो कि दिनांक 02.01.1993 को निष्पादित किया गया उसमें शर्त क्र. 5 में स्पष्ट कहा गया था कि उपरोक्त जमीन का उपयोग शैक्षणिक और स्वास्थ्य के लिए ही किया जाएगा, लेकिन ट्रस्ट ने इस जमीन पर प्रोफेशनल ऑफिसेस और चैम्बर्स का अभिन्यास मंजूर करवा लिया, जो कि इकरारनामा की शर्तों का उल्लंघन है। इस संबंध में प्राधिकरण ने ट्रस्ट को भी नोटिस जारी किया था और अब कलेक्टर से भी अनुरोध किया गया कि संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश और नगर पालिक निगम द्वारा दी गई अनुमतियों को निरस्त करवाया जाए, क्योंकि उक्त जमीन अवॉर्ड द्वारा पारित जमीनों में भी शामिल रही है।
रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट से मिली अनुमति का भी दुरुपयोग
ट्रस्ट ने अलग-अलग आवेदनों के जरिए तीन मर्तबा रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट से जमीन बेचने की अनुमति हासिल की। इस संबंध में 30.07.2010, फिर 29.03.2011 के बाद 29.05.2012 को आदेश जारी किए गए , जिसमें ट्रस्ट ने जमीन को विकसित करने और निजी डवलपर्स के साथ अनुबंध करने की अनुमति मांगी गई, ताकि ट्रस्ट प्राप्त राशि से ग्राम बिसनावदा स्थित ट्रस्ट की ही 81696 स्क्वेयर फीट जमीन पर स्कूल और चिकित्सालय का निर्माण कर सके। लिहाजा रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट ने ट्रस्ट को फंड की आवश्यकता के मद्देनजर रेशो डील का अनुबंध शर्तों के साथ करने की अनुमति दी, उसका भी उल्लंघन किया गया।
भोपाली अफसर के साथ जुड़े इंदौरी कारोबारी भी
ट्रस्ट की इस जमीन पर एक भोपाल के आला अफसर के बेटे की भी भागीदारी रही, जिसके साथ इंदौर के जमीनी जादूगर जुड़े और जोर-शोर से इस प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग की गई। बाद में भागीदारों में विवाद भी हुए और तत्पश्चात कुछ नए जमीनी जादूगर भी इस प्रोजेक्ट में शामिल हो गए। हालांकि बीते कुछ समय से मौके पर निर्माण कार्य ठप ही रहा है।
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