आमला। यदि दम्पत्ति को औलाद ना हो तो दुख होता है… यदि औलाद होकर मर जाए तो थोड़ा दुख होता है… लेकिन औलाद यदि नालायक निकल जाए तो जिंदगी भर का दुख माता-पिता (Parents) को सहन करना पड़ता है। जी-हां एक ऐसा ही दुख एक दम्पत्ति (couple) कई वर्षों से सहन कर रहे थे क्योंकि उनके पुत्र का जब मन होता था तब वह शराब के नशे में कभी कुल्हाड़ी तो कभी लाठी से माता-पिता के साथ मारपीट कर देता था। दोनों माता-पिता (Parents) को ऐसा लगने लगा था कि एक ना एक दिन पुत्र दोनों की हत्या कर देगा। इसी के चलते जन्म देने वाले दोनों माता-पिता ने ही पुत्र का गला रेत कर उसको मौत के घाट उतार डाला। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
माता-पिता ने कबूल किया हत्या करना
विवेचना के दौरान मृतक संतोष बिंझवे के माता- पिता अभिराम और माँ कुसुम बिंझवे पुलिस पूछताछ में अंतत: हत्या करना कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा संतोष बिंझवे का व्यवहार अच्छा नहीं था। वह कई सालों से शराब पीकर उन्हें पीट रहा था। अभी तक करीबन 8-10 बार मारपीट कर चोंट पहुँचा चुका है। 25 सितंबर को भी मृतक ने अपने पिता अभिराम को शराब पीकर कुल्हाड़ी मार दिया था जिससे उसका दाहिना कान कट गया था, इस कारण वह अहमदाबाद काम करने भाग गया था। पूर्व में एक बार हाथ भी तोड़ दिया था। वह 10 अक्टूबर अहमदाबाद से वापस ससाबड़ आया तो चचेरे भाई राजेश के घर मे रहने चला गया। 12 अक्टूबर की शाम 07.00 बजे करीब घर आया तो शराब पीने के लिये पैसे मांगने लगा तथा मना करने पर लकड़ी से माता-पिता दोनों के साथ मारपीट किया। जिससे पिता अभीराम के चेहरे एवं पसली मे चोंट लग गई थी। फिर माँ कुसुम बाई के द्वारा 100 रूपये देने पर दोस्तों के साथ शराब पीने चला गया।
ऐसे उतारा मौत के घाट
रात करीबन 10.30 बजे संतोष बिंझवे नशे की हालत में घर वापस आया तो फिर से गालियां देकर माता पिता के साथ मारपीट करने लगा तो पिता अभिराम ने घर में रखी कटार से उसका गला काट दिया और खून न बहे इसलिये उसी का एक जींस का पेंट निकालकर गले में मजबूती से कस दिया। रात करीबन 01.00 बजे पिता अभिराम ने मृतक संतोष के दोनों पांव पकड़ा और माँ कुसुम बाई ने उसके दोनों हाथ पकड़े और पीछे के दरवाजे से निकालकर लाश को धीरे-धीरे खींचते हुये घर के पीछे की तरफ ढलान में कच्ची रोड़ के किनारे तक लेकर गये लाश को फेंक दिया। पुलिस को अभिराम ने बताया कि उन्हें शक था कि उनका बेटा कभी उन्हें मा सकता है। इसी के चलते उन्होंने पत्नी की मदद से उसे मार डाला और शव को झाडिय़ों में ले जाकर फेंक दिया।
इनकी रही भूमिका
उपरोक्त उल्लेखनीय अंधे कत्ल का खुलासा करने में एसडीओपी मुलताई नम्रता सोधिया के नेतृत्व में निरीरीक्षक सन्तोष पन्द्रे थाना प्रभारी आमला, एसआई पुरूषोत्तम गौर चौकी प्रभारी बोडख़ी, एसआई हेमन्त पाण्डे, एसआई आबिद अंसारी (प्रभारी एफएसएल), एएसआई पंचम सिंह, एएसआई एमएल गुप्ता, प्रधान आरक्षक मनोज डेहरिया, प्रधान आरक्षक बसंत उइके, प्रधान आरक्षक अनंत राम यादव, प्रधान आरक्षक सुखराम धुर्वे, प्रधान आरक्षक सुभाष माकोड़े (फोटो), आरक्षक विवेक टेटवार, आरक्षक राजेन्द्र धाड़से (सायबर सेल), आरक्षक दीपेन्द्र सिंह (सायबर सेल) आरक्षक रोहित कुशवाह, आरक्षक रामकिशन, आरक्षक बबलू धुर्वे, महिला आरक्षक कविता, महिला आरक्षक सरोज सोलंकी की भूमिका रही है।
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