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    परेशानी तब होती है जब मरीज, मरीज न होकर वीआईपी हो जाता है

  • May 03, 2021

    • छलका सिविल सर्जन का दर्द…

    सीहोर। रविवार को सीहोर कलेक्ट्रेट में एक बैठक के दौरान जिला अस्पताल के सिविल सर्जन आनंद शर्मा की अचानक तबियत बिगड़ी और वह चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल आया गया और उपचार के बाद वह अभी बेड रेस्ट पर हैं। सिविल सर्जन पद पर रहते हुए इस कोरोना काल में उन्हें किस प्रकार राजनीतिक दबाव से जूझना पड़ रहा है। राजनेताओं और रसूखदार लोगो के आगे अस्पताल प्रबंधन लाचार हो जाता है इसको लेकर अपना दर्द सोशल मीडिया पर साझा किया है। शर्मा लिखते हैं कि वर्तमान करोना महामारी का दौर निश्चित ही विचलित करने वाला है। उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं उसके आगे बौनी प्रतीत हो रही हैं।
    जिला अस्पताल जिले की आशा है और उसने इस दौरान अपने को खरा भी साबित किया है । ऑक्सीजन के इस दौर में 100 बड़े सिलेंडर एक दिन में मरीजों की सेवा में उपलब्ध करवाना और लगातार 5 लीटर ऑक्सीजन से लेकर 15 लीटर ऑक्सीजन तक लगभग 100 पीडि़त को प्रदाय करना एक चुनौती था परंतु विगत 6 सप्ताह से उसे पूरा किया गया। जिला अस्पताल में 200 बिस्तर शासन द्वारा स्वीकृत है ,उसी मान से डॉक्टर और स्टाफ भी पदस्थ है उसमे से भी 40त्नपद खाली हैं। इस परिस्थिति में अतिरिक्त 100 गंभीर मरीजों का प्रतिदिन 24घंटे सातों दिनसेवाएं देकर स्वास्थ्य विभाग ने एक कीर्तिमान रचा है । सैकड़ों मरीज का ठीक होकर जाना महज इतफाक नही है। परेशानी तब होती है जब मरीज ,मरीज नही होकर वीआईपी हो जाता है और सामान्य या गरीब मरीज और बाहुबली मरीज में ही जिम्मेदार अंतर करते हैं।
    प्रकृति का जैविक चक्र और उसपर बाहुबली मरीज उसको ऑक्सीजन,बेड उपलब्ध करवाना और गरीब की ऑक्सीजन निकाल देना ये दुनिया के किसी मेडिकल कालेज में नही पढ़ाया जाता और नाही कोई धर्म इसकी इजाजत देता है। बस यन्ही से अस्पताल प्रशासन की मजबूरी प्रदर्शित होने लगती है, लाचार प्रशासन फोन कॉल के आगे निरीह और लाचार नजर आता है।
    क्या ये उचित है… जान में अंतर, दो मानव जीवन में अंतर। क्या इस समय ऑक्सीजन ऑडिट करना डॉक्टर का काम है या जान बचाना, क्या रिमेडिशिविर की उपलब्धता के लिए ऊर्जा खर्च करना या प्रत्येक जरूरतमंद को दवाई दिलवाना नवजात गहन चिकित्सा इकाई, मातृत्व सेवाएं, प्रसूता की देखभाल, एक्सीडेंट और हार्ट अटैक के मरीज अन्य गंभीर बीमारी के मरीज को देखना या वीआईपी सेवाए देना। गहन और मस्तिष्क को जझकोर देने वाला प्रश्न। वह शपथ जो मेडिकल की पढ़ाई में ली थी वो या आकाओं को खुश करना।

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