नई दिल्ली। गैर भाजपा शासित कई राज्यों ने हाल के दिनों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का एलान किया है। हालांकि इन राज्यों को आने वाले दिनों में आर्थिक तौर पर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि केंद्र सरकार (Central government) ने नियमों (rules) में बदलाव (shift) किया है, जिसके तहत पुरानी पेंशन योजना लागू (old pension scheme implemented) करने वाले राज्यों (states) को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र से मिलने वाला अतिरिक्त कर्ज (excess debt) नहीं मिल सकेगा।
बता दें कि नए पेंशन सिस्टम के तहत राज्य सरकारें अपना और कर्मचारी की सैलरी का एक तय हिस्सा पेंशन फंडिंग रेगुलेटरी डेवलेपमेंट अथॉरिटी को देते हैं, जिसे बाद में कर्मचारी को पेंशन के रूप में दिया जाता है। इसके तहत पेंशन फंडिंग एडजस्टमेंट के तहत राज्य सरकारें केंद्र से अतिरिक्त कर्ज ले सकती हैं। यह अतिरिक्त कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का तीन फीसदी तक हो सकता है। हालांकि राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, पंजाब ने नया पेंशन सिस्टम छोड़कर पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है।
ऐसे में वित्तीय वर्ष 2023-24 में इन राज्यों को केंद्र सरकार अतिरिक्त कर्ज देने से इंकार कर सकती है। पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी को उसकी अंतिम सैलरी की आधी रकम रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर मिलती है। पुरानी पेंशन योजना से राज्य सरकारों के खजाने पर भारी दबाव पड़ेगा और खासकर पंजाब जैसे राज्य के लिए यह चिंता का कारण बन सकता है क्योंकि पंजाब पर पहले से ही हजारों करोड़ रुपए का कर्ज है। राजस्थान का भी कुछ ऐसा ही हाल है।
अब अगर केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त कर्ज नहीं मिलेगा तो यह राज्य सरकारों के लिए चिंता की बात है। कई नीति नियंताओं ने राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर चिंता जाहिर की है। इसकी वजह ये है कि पुरानी पेंशन योजना लागू होने से राज्यों के पास स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बहुत कम पैसा बचेगा। योजना आयोग के पूर्व चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर चिंता जाहिर की है।
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