नागपुर । नागपुर (Nagpur) में सोमवार रात हुए दंगों (Riots) के बाद हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। प्रशासन ने गुरुवार को दो थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू हटा लिया, जबकि छह अन्य इलाकों में दो घंटे की राहत दी गई। हालांकि, दंगे के केंद्र रहे महल क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था (Security system) कड़ी बनी हुई है। पुलिस ने हिंसा के मामले में 17 और आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि चार नाबालिगों को हिरासत में लिया गया है। अब तक कुल 95 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।
पुलिस के अनुसार, शहर में भड़की आग के पीछे 250 लोगों की एक ‘ट्रोल आर्मी’ का हाथ था, जिसने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से अफवाहें फैलाकर माहौल को गरमाया। इस मामले में चार नई FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें देशद्रोह के गंभीर आरोप शामिल किए गए हैं। इन FIRs में माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के शहर अध्यक्ष फहीम खान और पांच अन्य लोगों को नामजद किया गया है। इन पर सोशल मीडिया के जरिए भ्रामक जानकारी फैलाने और हिंसा को भड़काने का आरोप है। इसके साथ ही, शहर में तीन दिनों तक लागू रहे कर्फ्यू को आंशिक रूप से हटा लिया गया है।
पुलिस के अनुसार, यह हिंसा सोमवार को उस समय भड़की जब दक्षिणपंथी संगठनों ने मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों ने आग में घी का काम किया। डीसीपी (साइबर) लोहित मटानी ने बताया कि फहीम खान ने एक प्रदर्शन का वीडियो एडिट कर सोशल मीडिया पर शेयर किया और पुलिस पर पथराव को महिमामंडित करने वाले पोस्ट डाले। इसके अलावा, शुरुआती भ्रामक सूचनाओं ने हिंसा को बढ़ावा दिया, जिसमें बाहरी सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी भूमिका सामने आई है।
वीडियो वायरल होने के बाद भड़की हिंसा
फहीम खान ने सोमवार को गणेशपेठ थाने के बाहर प्रदर्शन किया था। वह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने गया था। आरोप है कि इन संगठनों के सदस्यों ने औरंगजेब और एक धार्मिक चादर का पुतला जलाया था। पुलिस से लौटने के बाद खान ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उसने पुलिस पर आरोप लगाया कि वे प्रदर्शनकारियों को बचा रहे हैं। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और महल गेट इलाके में हिंसा भड़क उठी।
ट्रोल आर्मी के जरिए सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट
पुलिस जांच में सामने आया है कि इस हिंसा को भड़काने में सोशल मीडिया का अहम रोल रहा। साइबर टीम ने दावा किया कि एक 250 लोगों की “ट्रोल आर्मी” ने दंगे से पहले और बाद में सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट शेयर किए। अब तक 50 से ज्यादा संदिग्ध सोशल मीडिया यूजर्स की पहचान कर ली गई है और पुलिस टीमें उन्हें गिरफ्तार करने के लिए सक्रिय हैं।
एक साइबर अधिकारी ने बताया, “एक ही समय में 90 से ज्यादा भड़काऊ पोस्ट 34 अलग-अलग अकाउंट्स से शेयर किए गए। कुछ वीडियो को एडिट कर गलत तरीके से पेश किया गया।” जांच में यह भी सामने आया कि बांग्लादेश समेत कुछ अन्य देशों के सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी नफरत फैलाने वाले पोस्ट शेयर किए गए थे।
घायलों का इलाज जारी, सिर और आंखों में गंभीर चोटें
इस दंगे में दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिनमें एक किशोर और 40 वर्षीय व्यक्ति शामिल हैं। दोनों का इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है। अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, अधिकतर घायलों की उम्र 24 से 40 साल के बीच है और उनकी चोटें सिर, आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों पर गहरे कट और सूजन के रूप में देखी गई हैं। कई लोगों की आंखों में गंभीर चोटें आई हैं, जिससे उनके लंबे समय तक प्रभावित रहने की आशंका जताई जा रही है।
कर्फ्यू में ढील, हालात सामान्य
हिंसा के बाद शहर में लगाया गया कर्फ्यू गुरुवार को नंदनवन और कपिल नगर जैसे क्षेत्रों से पूरी तरह हटा लिया गया, जबकि शांतिनगर, सक्करदारा, लक्षदगंज, पचपावली, इमामवाड़ा और यशोधरनगर में दोपहर 2 से 4 बजे तक ढील दी गई। हालांकि, कोतवाली, गणेशपेठ और तहसील क्षेत्रों में कर्फ्यू अभी भी लागू है। नागपुर के कलेक्टर डॉ. विपिन इटंकर ने कहा, “शहर में सामान्य स्थिति बहाल हो गई है, लेकिन कुछ हिस्सों में सावधानी के तौर पर कर्फ्यू जारी है।”
जांच और राजनीतिक प्रतिक्रिया
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 200 आरोपियों की पहचान की है और 1,000 से अधिक संदिग्धों को चिह्नित करने की प्रक्रिया जारी है। इस बीच, शिवसेना (UBT) ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि फिल्म ‘छावा’ को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराना उनकी कमजोर मानसिकता को दर्शाता है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में पूछा गया कि क्या सरकार फिल्म के कलाकारों और निर्माताओं के खिलाफ भी मामले दर्ज करेगी।
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