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रात 12 बजे से त्रिवेणी स्नान शुरु, पनौती छोड़ी

December 04, 2021

  • सुबह पहुँचे निगम आयुक्त और कलेक्टर व्यवस्था देखने-दोपहर तक 50 हजार श्रद्धालु पहुंचे-चप्पलों के ढेर लगे

उज्जैन। आज शनिचरी अमावस्या का स्नान रात्रि में प्रारंभ हुआ। दोपहर तक 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इस अवसर पर अच्छी व्यवस्था दिखी। रात 12 बजे से त्रिवेणी घाट पर शनिचरी अमावस्या का स्नान शुरू हो गया है। रात में अधिक ठंड होने के कारण श्रद्धालु थोड़े कम थे। सुबह 6 बजे तक 20 से 25 हजार श्रद्धालुओं ने स्नान किया, वहीं दोपहर तक की आंकड़ा 50 हजार तक पहुँचा। जैसे-जैसे ठंड कम होगी आंकड़ा और बढ़ेगा। दिन भर में 1 लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं। सुबह से शावर में श्रद्धालुओं को स्नान कराया गया, वहीं रात में जो मिट्टी का बांध पानी भरने से टूटने की संभावना थी उसकी भी मानिटरिंग जल संसाधन और अन्य विभाग के कर्मचारी कर रहे थे। क्योंकि मिट्टी के बांध के दूसरी ओर कान्हा नदी का गंदा पानी और दूसरी और शिप्रा में आया नर्मदा का साफ पानी था।


यदि यह गंदा पानी मिलता है तो श्रद्धालुओं को बदबूदार पानी में स्नान करना पड़ेगा। इसी को देखते हुए कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी कल रात से ही मिट्टी के पाले की मानिटरिंग में लगे हुए थे। आज सुबह भी कलेक्टर और निगमायुक्त त्रिवेणी घाट पहुँचे और वहाँ की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। शनिचरी अमावस्या पर उज्जैन के त्रिवेणी स्थित मुख्य घाट पर श्रद्धालुओं का स्नान प्रारंभ हो चुका है। ठंड और बारिश के बाद भी बड़ी संख्या में लोग तड़के घाट पर पहुंचकर स्नान का लाभ ले रहे हैं। जिला प्रशासन की निगरानी में त्रिवेणी मुख्य घाट पर श्रद्धालुओं के लिए स्नान हेतु नर्मदा नदी के जल को प्रवाहित किया गया है जिससे कि श्रद्धालु साफ जल में स्नान कर सकें। त्रिवेणी के मुख्य घाट के निचले प्रवाह क्षेत्र में कान्ह नदी के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए बनाया गया मिट्टी का बांध कैचमेंट क्षेत्र में बारिश होने के कारण रात में बह गया।

परंपरा के अनुसार स्नान के बाद लोगों ने कपड़े और जूते घाट पर छोड़े
त्रिवेणी पर स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने कपड़े और जूते परंपरागत रूप से घाट पर ही छोड़ दिए, जिन्हें नगर निगम की टीम इक_ा करके एक तरफ रखवा रही थी। यहाँ से जितने भी जूते और कपड़े इक_े होते हैं, इनकी नीलामी मंदिर प्रबंध समिति तहसीलदार के माध्यम से करती है और इसकी आय से मंदिर के विकास कार्य किए जाते हैं। नगर निगम इनको उठा लेगा।

देवासगेट से महाकाल तक सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण
उज्जैन। देवासगेट चौराहे से लेकर तोपखाना होते हुए महाकाल तक की सड़क सिंहस्थ 2004 के दौरान चौड़ी की गई थी। चौड़ीकरण के बाद से लगातार यहाँ अतिक्रमण हो रहे हैं और दोनों ओर वाहनों और ठेलों के कारण दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। मालीपुरा में यातायात पुलिस का अमला भी ढर्रा सुधारने के लिए नहीं जाता। वहीं देवासगेट पर सिग्नल लग जाने के बाद स्थिति और भयावह हो गई है।

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