नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कृषि, शिक्षा और श्रम क्षेत्र में किए गए सुधारों की त्रिमूर्ति से किसानों, विद्यार्थियों और युवाओं के लिए नए अवसर पैदा होंगे। इन तबकों को सुधारों से शक्ति मिलेगी तथा उन्हें अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करने का अवसर मिलेगा। सुधार प्रक्रिया शुरू करते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि इन तबकों के हित सुरक्षित रहें तथा जो लोग विपरीत रूप से प्रभावित हो सकते हैं उन्हें सुरक्षा दी जाए।
मोदी ने केरल से प्रकाशित होने वाली मनोरमा ईयर बुक (वार्षिकी) के लिए लिखे गए एक विशेष लेख में कहा कि देश में सुधारों की प्रक्रिया को लाभ हानि की दृष्टि से देखा जाता था। सुधारों के प्रति नफा-नुकसान का यह नजरिया किसी देश की ताकत को जाहिर नहीं करता। एक महत्वकांक्षी और ऊपर उठने की ललक रखने वाला देश ऐसे नजरिए और बाधाओं को पार करता है।
प्रधानमंत्री ने लेख में कहा कि देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए तेजी से अग्रसर है। हमारे लिए आत्मनिर्भर भारत का अर्थ यह है कि वह प्रतिस्पर्धा करने में अधिक सक्षम हो, उसकी उत्पादक क्षमता में बढ़ोतरी हो तथा स्थानीय प्रतिभा को महत्व मिले। इस अभियान से दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका बढ़ेगी तथा देश में अंतरराष्ट्रीय कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। दुनियाभर के उद्यमी और निवेशक भारत में नीतियों की स्थिरता, कम कर व्यवस्था और प्रशिक्षित मानव संसाधन का भरपूर उपयोग कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कंपनी कानून में ऐसा सुधार करने की पहल कर रही है जिससे कारोबारी कामकाज पर सरकारी नियमन कम हो तथा कारोबार संबंधी अभ्यास कामकाज को अनावश्यक अपराध श्रेणी से मुक्त किया जाए। इन सुधारों से व्यापार करने में सुगमता होगी। उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहती है। इससे उपभोक्ताओं को विकल्प चुनने की आजादी मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की दृष्टि से भारत दुनिया का सबसे खुले देशों में है। इसका नतीजा यह है कि भारत में रिकॉर्ड निवेश हो रहा है।
कोरोनावायरस महामारी का मुकाबला करने में देश की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी क्षमताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जन धन योजना आधार और मोबाइल के जरिए जरूरतमंद लोगों तक अरबों रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराने में सफलता मिली है। यह उल्लेखनीय है कि दुनिया के विकसित देशों सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी बाधाओं से अभी भी जूझ रहे हैं।
मोदी ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और पूर्ण क्षमता हासिल करेगा। सरकार और निजी प्रौद्योगिकी कंपनियां घरेलू घरेलू स्टार्टअप और मोबाइल ऐप सुविधाओं का विस्तार करने के लिए काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लोकतांत्रिकरण हो रहा है तथा ब्रॉडबैंड के जरिए देश के लाखों लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इसे प्रौद्योगिक क्रांति की संज्ञा देते हुए कहा कि अगले एक हजार दिनों में देश के सभी छह लाख गांव को ब्रॉडबैंड संपर्क सुविधा से जोड़ दिया जाएगा । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रौद्योगिकी का समुचित इस्तेमाल कर आने वाले दिनों में भारत की विकास यात्रा को किसी प्रकार के व्यवधान से मुक्त रखा जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में एक अरब से अधिक आबादी वाला लोकतांत्रिक देश है तथा हमने दुनिया के सामने अपनी सामाजिक व्यवस्था की मजबूती, राष्ट्रीय संकल्प शक्ति और संस्थानों की मजबूती सामने रखी है। इस ताकत के जरिए देश अपने मूलभूत मूल्यों से समझौता किए बिना दबीर बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम है।
कोरोनावायरस महामारी से मुकाबला करने की लड़ाई का संकल्प जाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि देश अपनी सामाजिक और आर्थिक विकास यात्रा जारी रखेगा। अगले वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हर देशवासी अपने तरीके से इस अवसर खुशियां बनाएगा।
वर्ष 2020 में कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ राष्ट्रीय मुहिम का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे देश के लोगों और समाज की आंतरिक शक्ति व चरित्र सामने आया है। भारत ने दुनिया को अपनी शक्ति और सहनशीलता का परिचय दिया है। एक अप्रत्याशित और बड़े संकट का मुकाबला करने में गरीब और अमीर, शहरी और ग्रामीण, युवा और बुजुर्ग सभी देशवासियों ने जिम्मेदार अनुशासित और सहनशील नागरिक जैसा वार किया।
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