भोपाल। देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव (nectar festival of freedom) मनाया जा रहा है। हर घर तिरंगा फहराया जा रहा है। 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद से पूरा देश 15 अगस्त को इसका जश्न मनाता है, लेकिन तिरंगा फहराने का सिलसिला आजादी (Independence) मिलने से ही शुरू नहीं हुआ है। आजादी के मतवालों ने इससे कई साल पहले तिरंगा फहराना शुरू कर दिया था। इस रिपोर्ट में हम आपको पांच ऐसी जगह बताएंगे जहां आजादी से पहले तिरंगा फहरा दिया गया था, हालांकि उस समय तिरंगा वर्तमान स्वरूप (tricolor present form) में नहीं था। आइए अब जानते हैं ऐसी पांच जगहों के बारे में…
राजस्थान के चूरू जिले (Churu district of Rajasthan) से तिरंगे का अनूठा इतिहास जुड़ा हुआ है। यहां का धर्म स्तूप आजादी का प्रतीक है। देश के आजाद होने से पहले 26 जनवरी 1930 यानि 17 साल पहले स्वतंत्रता सेनानी चंदन मल बहड़ ने धर्म स्तूप पर तिरंगा फहराया था। इसमें उनके साथियों ने भी सहयोग किया था। अंग्रेजों के रात में तिरंगा फहराने के बाद बहड़ और उनके साथियों को काफी यातनाएं भी झेलनी पड़ीं थीं। बता दें कि चूरू के धर्म स्तूप को लाल घंटाघर भी कहा जाता है। इसका निर्माण पिलानी के बिड़ला परिवार ने कराया था। धर्म स्तूप पर महापुरुषों की कही गई बातें लिखी गईं हैं।
बंगाल विभाजन के विरोध में 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौक ( अब के ग्रीन पार्क) में एक रैली का आयोजन किया गया था। इस दौरान यहां झंडा फहराया गया था। यह झंडा लाल, पीले और हरे रंग था। इसके सबसे ऊपर हरे, पीले और फिर लाल रंगी की पट्टी थी। पहली पट्टी पर कमल के फूल बीच वाली पट्टी पर वंदे मातरम और सबसे नीचे की पट्टी पर चांद और सूरज बना थे।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय में साल 1937 में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें गवर्नर जनरल सर हेटली और तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत के भी शामिल होने का कार्यक्रम था। ऐसे में लविवि के अध्यक्ष रह चुके जय नारायण श्रीवास्तव ने अपने साथियों के साथ मिलकर विवि में झंडा पहराने की योजना बनाई, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन की आग को देखते हुए विवि की सुरक्षा व्यवस्था बहुत कड़ी थी। ऐसे में जय नारायण और उनके कुछ साथी एक दिन पहले ही विवि के कला प्रांगण की छत पर छिपकर बैठ गए। अलग दिन गवर्नर जनरल हेटली और मुख्यमंत्री पंत के आने से कुछ देर पहले उन्होंने ब्रिटिश झंडे को उतारकर तिरंगा पहरा दिया था।
हरियाणा के झज्जर जिले का टाउन हाल आजादी का गवाह है। 15 जनवरी 1922 को स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा ने टाउन हाल पर लोगों की भीड़ के साथ यहां तिरंगा झंडा लहराया था। हालांकि, स्वतंत्रता सेनानी और उनके सहयोगियों को अंग्रेजी हुकूमत ने इसकी कठोर सजा दी। लोगों भीड़ पर लाठी चार्ज कर झंडा उतरवा दिया गया। वहीं, श्रीराम शर्मा को कोड़े मारे गए और जीप के पीछे रस्सी से बांधकर घसीटा गया, लेकिन यह यातना उनके हौंसले को नहीं तोड़ पाई।
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में पहली बार अक्टूबर 1922 में विक्टोरिया टाउन हॉल पर तिरंगा फहरा दिया गया था। देश में आजादी के लिए लगातार आंदोलन हो रहे थे। असहयोग आंदोलन की सफलता के लिए कांग्रेस की एक समिति जबलपुर आई थी। शहर के विक्टोरिया टाऊन हॉल में आंदोलन को लेकर सदस्यों को अभिनंदन पत्र दिए जा रहे थे। इसी दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने टाउन हॉल की इमारत पर तिरंगा फहरा दिया गया। तब से यह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई।
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