नई दिल्ली: चीन (China) तिब्बत (Tibet) में लगातार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज नहीं आता. अब चीन ने कोरोना प्रतिबंधों के नाम पर तिब्बत (Tibet) की राजधानी ल्हासा (Lhasa) और आसपास के इलाकों में तिब्बती नए साल लोसर (Losar) पर कई धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी है. तिब्बती उत्सवों पर पाबंदी तिब्बती पहचान को कमजोर करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
तिब्बती लोग नहीं मना पाएंगे लोसर
हांगकांग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती राष्ट्रीयता से बहुत परहेज करती है. चीन पहले भी तिब्बत में मानवाधिकारों के दमन के लिए बदनाम रहा है. चीन अपने वन चाइना पॉलिसी को लेकर कट्टर है और ऐसे कदम चीन की इसी रणनीति का हिस्सा हैं. चीन के इस कदम के बाद तिब्बती लोग अपने नए साल लोसर पर किसी भी तरह के धार्मिक उत्सव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे.
सरकारी कर्मचारियों को नहीं मिलेगी छुट्टी
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकारी नौकरियों में काम करने वाले तिब्बतियों को नए साल पर काम के लिए ड्यूटी पर हाजिरी देना अनिवार्य कर दिया गया है, ऐसा इसलिए ताकि वे जश्न मनाने अपने गृहनगर न जा सकें. तिब्बती इलाके में चीनी अधिकारियों ने लोगों की यात्रा पर भी रोक लगा दी है. तिब्बती समुदाय किसी भी तरह के समारोहों का आयोजन नहीं कर सकेगा. चीन ने कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने वाले लोगों के लिए कड़े कानून भी बनाए हैं.
तिब्बत की दिवाली है लोसर
गौरतलब है कि लोसर महोत्सव 3 मार्च से 5 मार्च तक मानाया जाएगा.तिब्बती मूल के लोग लोसर पर्व पर रंग-बिरंगे परिधान पहनते हैं और तरह-तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. लोग अलग-अलग समूहों में डांस भी करते हैं. लोसर पर्व को तिब्बत की दिवाली भी कहा जाता है. तिब्बती समुदाय अपनी खास परंपराओं के जरिए नए साल का स्वागत करता है. तिब्बत का यह आयोजन करीब 15 दिनों तक चलता है.
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