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प्रदेश में अचानक सियासत के ‘भगवान’ हो गए आदिवासी

October 01, 2021

  • 11 विधानसभा सीटों में से 5 आदिवासी, 2 एससी के लिए आरक्षित
  • एसटी की आरक्षित 47 सीटों में से 29 पर कांग्रेस, 17 पर भाजपा, 1 निर्दलीय

रामेश्वर धाकड़, भोपाल
प्रदेश में खंडवा लोकसभा (Khandwa Lok Sabha) क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों को मिलाकर कुल 11 विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होना है। अभी तक आदिवासी वर्ग (Tribal Class) प्रदेश की सियासत में सबसे पीछे रहा है, लेकिन उपचुनाव में आदिवासी वोट लेकर राजनीतिक दलों में घबराहट साफ दिखाई दे रही है। यही वजह है कि आदिवासी अचानक सत्ता के केंद्र में आ गया है। हाल ही में आदिवासियों को लेकर सियासी एवं सरकारी फैसले लिए गए हैं। खंडवा लोकसभा (Khandwa Lok Sabha) की 8 विधानसभा सीटों में से 4 सीट आदिवासी वर्ग और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। जोबट अजजा और रैगांव सीट अजा वर्ग के लिए आरक्षित हैं।


2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ी हार अनुसूचित जनजाति (एसटी)के लिए आरक्षित सीटों पर मिली थी। भाजपा अभी तक आदिवासी वर्ग में अपनी पैठ नहीं बनाई पाई है। पृथ्वीपुर, रैगांव विधानसभा सीट को छोड़ दिया जाए तो खंडवा लोकसभा एवं जोबट विधानसभा सीट में आदिवासी वोट ही निर्णायक भूमिका में है। यदि 2018 के विधानसभा चुनाव की तरह ही आदिवासी का मूढ़ रहा तो उपचुनाव में भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। यही वजह है कि भाजपा ने उपचुनाव के ऐलान से पहले ही आदिवासी वोर्ट बैंक पर डोरे डालना शुरू कर दिया था। 18 सितंबर को जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश भर से आदिवासी की भीड़ उमडऩा, आदिवासी क्षेत्रों में सीएम का जनदर्शन, प्रदेश भाजपा कार्यालय में अजजा वर्ग का कार्यालय खुलना, चुनाव की घोषणा से पहले आदिवासियों के लिए बड़ी घोषणाएं उपचुनाव की रणनीति का ही हिस्सा है। खरगोन के बिस्टान थाने में पुलिस पिटाई से आदिवासी युवक की मौत पर एसपी समेत अन्य पुलिस अफसरों को हटाने की पीछे की वजह भी उपचुनाव बताई जा रही है।

जयस, भीम आर्मी से भाजपा को नुकसान
मप्र में जय युवा आदिवासी संगठन (जयस)एवं भीम आर्मी जैसे संगठनों ने भाजपा शासन काल में ही पैर पसारे थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में जयस आदिवासी क्षेत्र में काफी सक्रिय रहा था। अप्रत्यक्ष रूप से जयस ने भाजपा का सियासी खेल बिगाड़ा था। उपचुनाव में भी भाजपा को जयस से खतरा नजर आ रहा है। यही वजह है कि दो दिन पहले भाजपा प्रदेश कार्यलय में अजजा मोर्चा के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जयस, भीम आर्मी एवं मिशनरी जैसे संगठनों को समाज में वैमनस्ता फैलाने वाला और विदेशी फंडिंग से चलने वाला संगठन बता दिया।

47 में से 17 सीट भाजपा के पास
प्रदेश में आदिवासी (अनुसूचित जाति)के लिए 47 विधानसभा सीट आरक्षित हैं। इनमें से सर्फ 17 सीटों पर सत्तारूढ़ दल भाजपा काबिज है। जबकि 28 सीट कांग्रेस के पास है। इनमें से रिक्त सीट जोबट पर उपुचनाव होना है। जोबट भी कांग्रेस के पास थी। विधायक कलावती भूरिया के निधन से खाली हुई है। एक सीट निर्दलीय के पास हैं। मार्च 2020 से पहले भाजपा एसटी वर्ग के 15 सीटों पर काबिज थी। बिसाहुलाल सिंह और सुमित्रा कास्डेकर के भाजपा में शामिल होने के बाद अनूपपुर और नेपानगर सीट भाजपा के पास आ गई हैं। उपचुनाव में भाजपा सबसे ज्यादा चिंतित आदिवासी वोट बैंक को लेकर है। खंडवा की 8 विधानसभा सीटों में से 5 भाजपा, 2 कांग्रेस और एक निर्दलीय के पास हैं। मार्च 2020 से पहले कांग्रेस के पास 4 सीट थीं। मांधाता के नारायण पटेल और नेपानगर की सुमित्रा कास्डेकर भाजपा में शामिल हो गईं फिर उपचुनाव में भी जीतीं।

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