भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की राजनीति आदिवासियों पर आकर टिक गई है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रदेश में प्रवेश से पहले सरकार ने 15 नवंबर को आदिवासियों को पावरफुल बनाने के लिए पेसा एक्ट (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) लागू कर दिया, लेकिन इस एक्ट के नियमों की बंदिशों के कारण इसका लाभ चुनिंदा क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगा। जल, जंगल, जमीन और खनिज पर ग्राम सरकार को ही फैसला लेने का अधिकार देने वाला एक्ट प्रदेश के 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉक में ही लागू हुआ है।
गैर आदिवासी 224 ब्लॉक इस एक्ट के दायरे में न आने से पावरलेस ही रहेंगे। इन जिलों के एक भी आदिवासी को लाभ नहीं मिलेगा। गैर आदिवासी ब्लॉक की उन पंचायतों को भी लाभ नहीं मिलेगा, जहां आदिवासियों की 100 प्रतिशत आबादी है। मुख्यमंत्री ने 23 नवंबर को खंडवा जिले के जिस पंधाना ब्लॉक में मास्टर बनकर पेसा एक्ट का पाठ पढ़ाया, उस पूरे ब्लॉक के लोग भी इस एक्ट के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित रहेंगे। इस कारण क्षेत्रों के आदिवासियों में नाराजगी है। दायरा बढ़ाने को लेकर मांग उठनी शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत भाजपा के विधायक ने ही की है। पंधाना से भाजपा के विधायक और प्रदेश सरकार की आदिवासी मंत्रणा परिषद के सदस्य राम दांगोरे कहते हैं- 80 से 100 प्रतिशत आदिवासी पंचायतों में पेसा एक्ट का लाभ मिलना चाहिए। इस संबंध में विधानसभा में ध्यानाकर्षण लगाया है। मुख्यमंत्री से भी इस संबंध में चर्चा करूंगा।
32 जिलों का एक भी आदिवासी एक्ट के दायरे में नहीं
प्रदेश के 52 में से सिर्फ 20 जिलों के 89 ब्लॉक में पेसा एक्ट लागू हुआ है, जबकि शेष 224 ब्लॉक के आदिवासी इस एक्ट के लाभ से वंचित हैं। 32 जिलों के एक भी आदिवासी को इस एक्ट का लाभ नहीं मिलेगा। प्रदेश में इंदौर संभाग के सबसे ज्यादा 40 ब्लॉक को इसका फायदा मिलेगा। दूसरे नंबर पर जबलपुर संभाग में 27 ब्लॉक हैं। सबसे कम रीवा और चंबल संभाग के एक-एक ब्लॉक को इसका फायदा मिलेगा। साल 2011 की जनगणना के अनुसार मप्र में आदिवासियों की आबादी 1.53 करोड़ है। आदिवासियों की सबसे ज्यादा आबादी वाला धार जिले में है। यहां पर 1228814 से अधिक आदिवासी हैं। भिंड जिले में आदिवासियों की सबसे कम आबादी है। यहां सिर्फ 6131 आदिवासी हैं।
विवाह कर जमीन हड़पी तो ग्राम सभा दिलाएगी
पेसा एक्ट के तहत जल, जंगल और जमीन का अधिकार आदिवासियों को दिया जा रहा है। किसी भी प्रोजेक्ट, बांध या किसी काम के लिए गांव की जमीन ली जाती है, लेकिन अब ग्राम सभा की अनुमति के बिना ऐसा नहीं होगा। पेसा कानून के जरिये ग्राम सभाओं को और अधिक अधिकार मिले हैं। गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिश करें तो ग्राम सभा इसमें हस्तक्षेप कर सकेगी। वापस भी दिलवाएगी। अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के सर्वे, पट्टा देने या नीलामी की कार्रवाई नहीं हो सकेगी।
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