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आज से सरकार की पहली प्राथमिकता में आदिवासी

November 15, 2021

  • जनजातीय कला, संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा
  • अधिसूचित क्षेत्रों के विकास पर रहेगा फोकस

भोपाल। देश की सियासत में आदिवासी सत्ता के केंद्र में आ गए हैं। आज मप्र की राजधानी भोपाल में होने वाले जनजातीय गौरव दिवस के जरिए भाजपा ने देश को यह संदेश दिया है कि अब आदिवासी वर्ग का विकास पहली प्राथमिकता में है। मप्र में आज से आदिवासी सरकार की पहली प्राथमिकता में आ गया है। अब सरकार जनजातीय कला, संस्कृति एवं परंपरा को बढ़ाया देने का काम करेगी। इसका खाका तैयार हो चुका है। अगले विधानसभा चुनाव से पहले मप्र में आदिवासी क्षेत्र सरकार के केंद्र में रहेंगे। जल्द ही आदिवासी नायक एवं नायिकाओं के नाम पर शहर, नगर एवं पुरष्कारों की घोषणा की जाएगी।


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने ऐलान किया है कि जनजातीय को अधिकार संपन्न बनाने और उनके विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। मप्र सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस समारोह से पहले ही आदिवासी वर्ग के लिए घोषणाओं का ऐलान करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जनजातीय कला और संस्कृति के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रतिवर्ष राजा संग्राम शाह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार में पाँच लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। राजा संग्राम शाह ने जनजातीय समुदाय के 52 गढ़ों पर शासन किया।

वीरता और बलिदान से भरी है जनजातीय समुदाय की विरासत
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति, कला, नृत्य परंपराएँ अद्भुत हैं। जनजातीय समाज अपने आनंद और मस्ती में जीवन को जीता है, यह इस समाज की विशेषता है। आप लोग भोपाल जनजातीय गौरव दिवस पर आए हैं। जनजातीय गौरव दिवस का अर्थ है हम योद्धा भी हैं। जनजातीय वीरों ने भारत माता के पैरों से गुलामी की बेडिय़ाँ काटने के लिए अपने खून की अंतिम बूंद तक अर्पित की है। बिरसा भगवान, टंट्या मामा, राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह, भीमा नायक जैसे अनेक योद्धाओं ने अंग्रेजों को ललकारा। जनजातीय वीरों का अंग्रेजों के मन में भय रहा। हमारी विरासत वीरता और बलिदान से भरी है। राजा संग्राम शाह, दलपत शाह, रानी दुर्गावती और भोपाल की रानी कमलापति का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।

जनजातीय योद्धाओं के बनेंगे स्मारक
मुख्यमंत्री ने कहा कि छिंदवाड़ा में बने विश्वविद्यालय का नाम शंकर शाह-रघुनाथ शाह विश्वविद्यालय रखा गया है। हमारे जितने जनजातीय योद्धा हैं, उनके स्मारक स्थापित किए जा रहे हैं। टंट्या मामा का खंडवा जिले में, भीमा नायक का बड़वानी जिले में स्मारक स्थापित किया गया है। रघुनाथ शाह-शंकर शाह के नाम पर जबलपुर में स्मारक की स्थापना हो रही है। छिंदवाड़ा में जनजातीय संग्रहालय बन रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल में बने जनजातीय संग्रहालय में जनजातीय समुदाय की सभी परंपराओं, संस्कृति को सजा-सँवार कर रखा गया है।

जनजातीय योद्धा
को मिलेगी पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास ने रानी कमलापति को भुला दिया था। जनजातीय योद्धा भुला दिए गए। प्रधानमंत्री की पहल पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर किया गया है। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार किया है। हम उनके आभारी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने रानी कमलापति के नाम को अमर कर दिया।

गोंड को मिलेगी पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संपूर्ण क्षेत्र गोंडवाना था। गिन्नौरगढ़ से लेकर गढ़ा मंडला तक गोंडों का राज्य था। जनजातीय समुदाय के 52 गढ़ हुआ करते थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गिन्नौरगढ़ में निजाम शाह राज करते थे। उनकी पत्नी का नाम था कमलापति। बाहरी सेनापति दोस्त मोहम्मद ने छल और कपट से यह क्षेत्र जीता। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि रानी कमलापति जल प्रबंधन में निपुण थी, उन्होंने कई बावडिय़ाँ, पार्क, मंदिर, तालाब आदि का निर्माण कराया था। वह जनता की समस्याओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील थी। रानी के बेटे नवल शाह ने 14 साल की उम्र में लालघाटी पर लड़ाई लड़ी थी। जब नवल शाह हार गए, युद्ध में मारे गए और रानी को यह विचार आ गया कि अब जीत नहीं सकते, तो उन्होंने अपने सम्मान की रक्षा के लिए छोटे तालाब में जल समाधि ले ली। रानी कमलापति द्वारा जल जौहर किया गया। रानी कमलापति के बलिदान को हम भुला नहीं सकते। उन्होंने सम्मान की खातिर अपने प्राण दे दिए। रानी कमलापति ने जीते जी अपने राज्य पर बाहरी आक्रांताओं को कब्जा नहीं करने दिया।

जनजातीय कला, संस्कृति, परम्पराओं को मिलेगा प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। यह जनजातीय वीरों को प्रणाम करने का अवसर है। हमारी कला, संस्कृति, परंपराओं को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। उनको प्रोत्साहित करने के लिए भी जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया गया है। जनजातीय गौरव दिवस जनजातीय जिंदगी को बदलने का अभियान है।

आदिवासियों के लिए अलग बनेंगी योजनाएं
आदिवासी भाई-बहन, बेटे-बेटियाँ पढ़ेंगे-बढ़ेंगे इसके लिए अनेक योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। जनजातीय विकास खंडों में राशन का विषय हो या बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सभी व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। जनजातीय विद्यार्थी उत्सव के रंग में रंगने के साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दें। वे पढ़ेंगे आगे बढ़ेंगे तो उनकी फीस भरवाने की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। आप पढ़ें, आगे बढ़े, सरकार हर कदम पर आपके साथ है। मप्र राज्य शासन द्वारा सड़क, पानी, बिजली से लेकर बाकी सभी व्यवस्थाओं के साथ रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई, पढ़ाई-लिखाई और रोजगार का इंतजाम करते हुए जनजातीय समाज के आगे बढऩे का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय भाई-बहन प्रदेश के विकास में बराबर के भागीदार हैं। राज्य सरकार आपको अधिकारों से लैस करके आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

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