भोपाल। प्रदेश के वन्य-जीवन पर आधारित पर्यटन (Tourism) स्थलों पर स्थानीय महिलाओं की बतौर टूरिस्ट गाइड (Tourist Guide) तैनाती की जाएगी। ये महिलाएं आदिवासी समुदाय (Tribal community) से होंगी। इसके लिए उन्हें बकायदा प्रशिक्षित किया जा रहा है। फिलहाल उनकी तैनाती पायलट प्रोजेक्ट (Pilot project) के तहत पहले श्योपुर जिले में की जाएगी। आजीविका मिशन (Mission) के तहत इन महिलाओं को टूरिस्ट गाइड (Tourist Guide) के रूप में तैयार किया गया है। आदिवासी वर्ग की महिलाओं को जंगल की सभी प्रकार की जानकारी रहती है। जिसमें जंगली रास्तों से लेकर पेड़-पौधों और उनके औषधीय गुण (Medicinal properties) भी वे जानती हैं। वे आदिवासी परंपरागत कला में माहिर भी होती हैं। उनकी इसी कला को निखारने के साथ ही उनकी आय में वृद्धि के लिए यह पहल की जा रही है। यह पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) ग्रामीण आजीविका मिशन (Mission) के तहत शुरू किया जा रहा है। इस कार्य में मप्र पर्यटन बोर्ड (MP Tourism Board) का भी सहयोग है। इसके लिए शुरू में चयनित 15 सहारिया आदिवासी महिलाओं को तीन दिन का प्रशिक्षण दिया गया। इसकी शुरुआत छह अप्रैल से कूनो-पालपुर नेशनल पार्क (National Park) स्थित पालपुर की गढ़ी से हुई है। दूसरे चरण में 15 और महिलाओं को नेचर गाइड (Nature guide) की ट्रेनिंग दी जाएगी। जिला प्रशासन के सहयोग से मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन (जिला पंचायत श्योपुर), कूनो सामान्य वनमंडल संयुक्त रूप से यह प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है। कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा (DFO Prakash Kumar Verma) ने बताया कि श्योपुर जिला राजस्थान (Rajasthan) से लगा हुआ है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन यह जिला अभी अपनी पहचान स्थापित नहीं कर पाया है। इसे टूरिस्ट सर्किट में लाने की भी योजना है। इसी कवायद के तहत हम महिलाओं को नेचर गाइड का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
पर्यटकों से बातचीज का सलीका भी सिखाया
प्रशिक्षिण में सहारिया महिलाओं को गाइड के कर्तव्य, पर्यटकों से बातचीत करने का तरीका तो बताया ही जाएगा, साथ ही उन्हें उन स्थानों के बारे में जानकारी दी जाएगी जहां-जहां पर्यटकों को ले जाना है। इनमें कूनो पार्क के भीतर और बाहर के कई प्राकृतिक नजारे शामिल हैं। जिले में स्थित किले, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में भी उन्हें बताया जाएगा, ताकि वे पर्यटकों को जानकारी दे सकें। इन जंगलों के पेड़ और प्रवासी पक्षियों के बारे में भी उन्हें जानकारी दी जाएगी। गौरतलब है कि आदिवासी समुदाय की महिलाओं की अजीविका जंगलों पर आधारित है। इस कारण वे जंगली जीवों के बारे में अच्छी जानकारी रखती हैं, इसलिए उनको इस काम के लिए चुना गया है।
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