जयपुर । बांसवाड़ा में (In Banswada) मानगढ़ की गौरव गाथा (Mangarh’s Pride Saga) कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि दुर्भाग्य से (Unfortunately) आदिवासी समाज के बलिदान (Tribal Society’s Sacrifice) को इतिहास में जो जगह मिलनी चाहिए वह नहीं मिली (Has Not Got the Place it Deserves in History) । आज देश उस कमी को पूरा कर रहा है (Today the Country is Filling that Gap) । भारत का अतीत, इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता है ।
मानगढ़ की गौरव गाथा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि दुर्भाग्य से आदिवासी समाज के बलिदान को इतिहास में जो जगह मिलनी चाहिए वह नहीं मिली। आज देश उस कमी को पूरा कर रहा है। भारत का अतीत, इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ में जो नरसंहार हुआ वह अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा थी। दुनिया को गुलाम बनाने की सोच मानगढ़ की इस पहाड़ी पर अंग्रेजी हुकूमत ने 1500 से ज्यादा लोगों को घेरकर के उन्हें मौत के गाट उतारा था।
पीएम ने कहा कि अशोक गहलोत जी और मैंने मुख्यमंत्री के रूप में साथ काम किया था। वह हमारे बहुत से मुख्यमंत्रियों में सबसे वरिष्ठ थे, आज भी यहां मंच पर बैठे सभी मुख्यमंत्रियों में से अशोक जी सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री में से एक हैं। कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया के कई देश में जाते है तो बेहद सम्मान मिलता है और सम्मान क्यों मिलता है? क्योंकि नरेंद्र मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री है जो गांधी का देश है, जहां लोकतंत्र की जड़ें मज़बूत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के दौरान मंच साझा किया। इस दौरान सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि पीएम मोदी ने राजस्थान के मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित किया है। बता दें, इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत पीएम मोदी को दो बार पत्र लिखकर मांग कर चुके थे कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए, ताकि गोविंद गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके।
पीएम मोदी के साथ इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे। मानगढ़ मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित है और नेताओं के इस दौरे को राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासियों को लुभाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, 17 नवंबर, 1913 को गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1.5 लाख से अधिक भीलों और अन्य जनजातियों ने अंग्रेजों के साथ लंबे गतिरोध में शामिल होकर मानगढ़ हिल पर रैली की थी। ऐसा माना जाता है कि लगभग 1,500 लोग मारे गए थे, क्योंकि अंग्रेजों ने एक सभा पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं।
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