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    मध्यप्रदेश के 59 छात्रावासों में आदिवासी बच्चों को मिल रहा गुणवत्ताहीन भोजन

  • December 31, 2022

    • 58 आदिवासी छात्रावासों में गंदगी के बीच रहने को मजबूर हैं छात्र
    • प्रदेश व्यापी औचक निरीक्षण रिपोर्ट में सामने आया सच

    भोपाल। आदिवासी विद्यार्थियों के छात्रावासों के प्रदेशव्यापी औचक निरीक्षण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें पाया गया है कि 59 आदिवासी छात्रावास ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों को गुणवत्ताहीन और घटिया भोजन दिया जा रहा है। इसी तरह 58 छात्रावास ऐसे पाए गए हैं जहां विद्यार्थी गंदगी के बीच रहने को मजबूर है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आयुक्त जनजातीय कार्य ने सभी कलेक्टरों को कहा है कि इन छात्रावासों में अभियान के तहत सुधार कर स्थितियां दुरुस्त कराएं। इसके बाद जनवरी माह में इन छात्रावासों का पुन: निरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद भी यहां पर गड़बड़ी मिली तो सभी संबंधितों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
    जानकारी के अनुसार मार्च महीने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को आदिवासी छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को गुणवत्ताहीन भोजन मिलने और साफ-सफाई का आभाव होने की शिकायत मिली थी। इस पर उन्होंने छात्रावास संचालन की विस्तृत नियमावली बनाने के साथ ही प्रदेश के सभी आदिवासी छात्रावासों और आश्रम शालाओं का औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। यह निरीक्षण जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा गठित टीम द्वारा किया जाकर आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग को रिपोर्ट देनी थी। इस रिपोर्ट की जिलेवार समीक्षा की गई तो पाया गया कि प्रदेश के 59 छात्रावासों और 27 आश्रम शालाओं में आदिवासी विद्यार्थियों को गुणवत्ताहीन घटिया भोजन दिया जा रहा है। इसी तरह 58 छात्रावासों और 36 आश्राम शालाएं ऐसी पाई गई थीं जहां साफ सफाई का नितांत अभाव है और यहां बच्चे गंदगी के बीच रहने को मजबूर हैं।



    बालाघाट में भोजन व्यवस्था सबसे खराब
    रिपोर्ट के अनुसार जिन जिलों के छात्रावासों को भोजन की गुणवत्ता में शून्य अंक मिले हैं उनमें बालाघाट जिले में सबसे ज्यादा 8 छात्रावासों में भोजन की गुणवत्ता काफी घटिया पाई गई है। इसके अलावा धार में 5, सागर में 5, बैतूल में 4 और इंदौर के 4 छात्रावासों में घटिया भोजन परोसा जाना पाया गया। जिन जिलों में तीन छात्रवासों में भोजन गुणवत्ताहीन मिला उनमें अलीराजपुर, ग्वालियर, जबलपुर, खरगोन, जिन जिलों में 2 छात्रावासों में खराब भोजन पाया गया उनमें बड़वानी, गुना, झाबुआ, कटनी, खंडवा एवं जहां एक छात्रावास में खराब भोजन मिला उनमें भोपाल, बुरहानपुर, देवास, डिंडोरी, हरदा, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, रतलाम, रीवा, सिवनी शामिल हैं।

    छिंदवाड़ा के छात्रावास सर्वाधिक गंदे
    जहां साफ सफाई का बिल्कुल आभाव रहा उन्हें शून्य अंक दिए गए थे। ऐसे शून्य अंक पाने वाले छात्रावासों में छिंदवाड़ा के सर्वाधित 7 छात्रावास, सीधी के 5 छात्रावासों में भारी गंदगी मिली है। इसी तरह अलीराजपुर के 3, अनूपपुर के 4, बालाघाट के 2, बैतूल के 3, धार के 3, डिंडोरी के 3, गुना 2, ग्वालियर 4, हरदा 2, जबलपुर 3, मंडला 2, नर्मदापुरम के 3 छात्रावासों में गंदगी के बीच छात्र रहते पाए गए हैं।

    सतना की रिचेकिंग
    सतना जिले के इटमा छात्रावास में गुणवत्ताहीन भोजन मिलना पाया गया था। लेकिन छात्रावास अधीक्षक ने इस पर आपत्ति जाहिर की। इसके बाद रिपोर्ट की जांच की गई। जांच में पाया गया कि अन्य जिले के इटमा का छात्रावास का नाम सतना में चढ़ गया था। जिसे अब सही किया जा रहा है।

    यह थे मापदंड
    भोजन गुणवत्ता के जो मापदण्ड तय किए गये थे उसमें उत्कृष्ट के 6 अंक, अच्छे के 4, संतोषजनक के 2 और खराब के 0 अंक थे। इसमें बच्चो को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता, खाद्य सामग्री की गुणवत्ता, खाद्य संग्रहण और दिए जाने वाले भोजन की मात्रा देखी जानी थी। वहीं साफ सफाई में उत्कृष्ट पर 8 अंक, अच्छा पर 6, संतोषजनक पर 4 और खराब पर 0 अंक दिये जाने थे।

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