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अमृत महोत्सव का जनजातीय अध्याय

November 28, 2021

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

आजादी के अमृत महोत्सव में अनेक उपेक्षित तथ्य उजागर हो रहे हैं। अनेक राष्ट्र नायक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे हैं। अमृत महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेरणा का एक नया दिन भी घोषित किया गया। अब देश प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस भी मनाएगा। इस दिवस का प्रथम आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर उत्साहपूर्ण रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखण्ड में बिरसा मुंडा की मूर्ति का वर्चुअल लोकार्पण किया। भोपाल में विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। बिरसा मुंडा और रानी कमलापति के महान योगदान से देश की नई पीढ़ी परिचित हुई। बिरसा मुंडा की झारखंड, बिहार, उड़ीसा आदि प्रदेशो में प्रतिष्ठा रही है। जनजातीय समुदाय में उनका बड़ा सम्मान है। वह राष्ट्र नायक के रूप में पूरे देश के लिए सम्मान की विभूति हैं। रानी कमलापति का भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान के साथ स्मरण किया गया।

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में हुआ था। उनमें बाल्यकाल से ही समाजसेवा का भाव था। उन्होंने जनजातीय समुदाय को ब्रिटिश दासता से मुक्त कराने का संकल्प लिया था। अकाल के समय उन्होंने लोगों की सेवा सहायता की। इसके साथ ही अंग्रेजों की लगान वसूली का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्थानीय लोगों को एकत्र किया। मुंडा विद्रोह को उलगुलान नाम से भी जाना जाता है। बिरसा मुंडा को1895 में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन्हें दो साल के कारावास की सजा दी गयी। उन्हें लोग सम्मान से धरती आबा कहते थे। खूँटी थाने पर हमला कर अंग्रेजों को चुनौति दी गई। तांगा नदी के किनारे ब्रिटिश सेना पराजित भी हुई थी। डोम्बरी पहाड़ पर संघर्ष हुआ था। चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया। ब्रिटिश जेल में ही उनका निधन हुआ था।

मध्य प्रदेश के रेलवे स्टेशन हबीबगंज (भोपाल) का अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति नामकरण किया गया। नरेंद्र मोदी ने इस स्टेशन का लोकार्पण किया। इस प्रकार रानी कमलापति की राष्ट्र सेवा को सम्मान दिया गया। वह अठारहवीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। यह पहली बार है, जब जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। अब तक स्वतंत्रता संग्राम के वे गुमनाम नायक रहे हैं। जनजातीय समुदाय ने प्राचीन काल से ही जम्मू-कश्मीर,मणिपुर, नागालैंड सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास किया है और देश की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाई है। आजादी से पहले भी जनजातीय नायकों ने भारत की स्वतन्त्रता के संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। रानी कमलापति का नाम रेलवे स्टेशन से जोड़ने से गोंड समाज सहित सम्पूर्ण जनजाति वर्ग का गौरव बढ़ा है। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन देश का पहला आईएसओ सर्टिफाइड एवं पीपीपी मॉडल पर विकसित रेलवे स्टेशन है। एयरपोर्ट पर मिलने वाली सुविधाएँ इस रेलवे स्टेशन पर मिल रही हैं।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत आगे बढ़ रहा है। यह मास्टर प्लान देश के विकास को अभूतपूर्व गति दे रहा है। देश के संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। यह प्लान सामान्य भारतीय के लिये ईज ऑफ लिविंग सुनिश्चित कर रहा है। रेलवे में कई नये प्रोजेक्ट इस प्लान के तहत तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। करीब दो सौ से अधिक रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है। भारतीय रेल के सामर्थ्य का बड़े स्तर पर विस्तार किया जा रहा है।

पहली बार सामान्य मानव को उचित राशि पर पर्यटन और तीर्थाटन का दिव्य अनुभव दिया जा रहा है। रामायण सर्किट ट्रेन ऐसा ही एक प्रयास है। रामायण एक्सप्रेस के माध्यम से रामायण काल के स्थलों का भ्रमण कराया जा रहा है। इसी तरह की और भी ट्रेनें चलाई जायेंगी। आजादी के अमृत महोत्सव में भारतीय रेलवे आने वाले दो साल में पचहत्तर नई ट्रेनें चलाने जा रहा है। विदेशी आक्रांताओं के हमलों के बाबजूद जन जातीय समुदाय ने अपनी सभ्यता- संस्कृति को कायम रखा है। इन्होंने सदैव विदेशी आक्रांताओं से मोर्चा लिया। स्वतन्त्रता संग्राम में जन जातीय समुदाय का योगदान भी किसी से कम नहीं था। लेकिन इनको इतिहास में उचित एवं पर्याप्त स्थान नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ओर ध्यान दिया। रानी कमलापति का के नाम से लोग अनजान थे। नरेंद्र मोदी की पहल से यह नाम आज राष्ट्रीय चर्चा में है। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भारत सही मायने में अपना प्रथम जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जनजातीय कला, संस्कृति,स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को गौरव एवं सम्मान प्रदान करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है। भारत सरकार ने भी फैसला किया है कि पन्द्रह नवम्बर को पूरे देश में हर वर्ष गांधी- पटेल- अंबेडकर जयंती की तरह ही वृहद पैमाने पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया जायेगा। जनजातीय समाज के योगदान को जन जन तक पहुँचाया जाएगा। जनजातीय समाज ने कोरोना के दोनों टीके लगवाकर पढ़े-लिखे समाज के सामने उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है। देश को बचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जनजातीय समाज का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान है। भगवान श्री राम को वनवास के दौरान जनजातीय समाज द्वारा दिये गये सहयोग ने ही मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया। जनजातीय समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों, जीवन-शैली से प्रेरणा मिलती है।

सरकार निरंतर जनजातीय कल्याण के कार्य कर रही हैं। सरकार द्वारा बीस लाख जनजातीय व्यक्तियों को वनभूमि के पट्टे प्रदान किये गये हैं। जनजातीय युवाओं के शिक्षा एवं कौशल विकास के लिये देशभर में साढ़े सात सौ एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय खोले जा रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा तीस लाख विद्यार्थियों को हर वर्ष छात्रवृत्ति दी जा रही है। सरकार द्वारा नब्बे वनउपजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। भारत सरकार ने जो डेढ़ सौ से अधिक मेडिकल कॉलेज मंजूर किए हैं,उनमें जनजातीय बहुल जिलों को प्राथमिकता दी गई है। इसी तरह जल जीवन मिशन के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों में नल से जल पहुंचाने की योजना संचालित हो रही है। सरकार ने खनिज नीति में ऐसे परिवर्तन किए. जिनसे जनजातीय वर्ग को वन क्षेत्रों में खनिजों के उत्खनन से लाभ मिलने लगा है। जिला खनिज निधि से पचास हजार करोड़ के लाभ में जनजातीय वर्ग हिस्सेदार है। जनजातीय समाज को यह सम्पदा काम आ रही है। खनन क्षेत्र में रोजगार संभावनाओं को बढ़ाया गया है। बाँस की खेती जैसे सरल कार्य को पूर्व सरकारों ने कानूनों में जकड़ दिया था। उन्हें संशोधित कर अब जनजातीय वर्ग की छोटी छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति का मार्ग प्रारंभ किया गया है। मोटा अनाज जो कभी उपेक्षित था। वह भारत का ब्राण्ड बन रहा है। जनजातीय बहनों को काम और रोजगार के अवसर दिलवाने का कार्य हो रहा है। नई शिक्षा नीति में जनजातीय वर्ग के बच्चों को मातृ भाषा की शिक्षा का लाभ भी मिलेगा। कोरोना काल में भी प्रधामनंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से लाभान्वित किया गया।

रांची में भगवान बिरसा मुंडा के संग्रहालय का प्रधानमंत्री ने वर्चुअल लोकार्पण किया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई पीढ़ी को हमारे संग्रामों और जनजातीय नायकों के योगदान से परिचित कराया जाएगा। रानी दुर्गावती, रानी कमलापति को राष्ट्र भूल नहीं सकता। जनजातीय वर्ग के महत्वपूर्ण योगदान को आजादी के बाद दशकों तक देश को नहीं बताया गया। देश की दस प्रतिशत जनजातीय आबादी की सांस्कृतिक खूबियों को नजरअंदाज किया गया।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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