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    वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बना स्मॉग टावर का ट्रायल सफल, लगे है 10 हजार फिल्टर और 40 बड़े पंखे

    November 11, 2021

    नोएडा। डीएनडी फ्लाई ओवर (DND Flyover) पर बन रहे एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर air pollution control tower(APCT) का काम पूरा हो चुका है. बुधवार को स्मॉग टावर का ट्रायल (smog tower trial) किया गया. नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के अफसरों की मानें तो ट्रायल पूरी तरह से कामयाब रहा. अब सिर्फ बिजली कनेक्शन मिलने का इंतजार है. जानकारों का कहना है कि नवंबर में ही ये स्मॉग टावर (smog tower) काम करने लगेगा.
    स्मॉग टावर (smog tower) के शुरू होते ही नोएडा की फिल्म सिटी (film city of noida) समेत 14 सेक्टर को प्रदूषित हवा से छुटकारा मिल जाएगा. नवंबर से फरवरी-मार्च के पीक टाइम में वायु प्रदूषण के चलते आंखों में जलन होती है. सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) ने भारत हैवी इलेक्ट्रीकल लिमिटेड (BHEL) के साथ मिलकर टावर का निर्माण किया है. गौरतलब रहे नवंबर से फरवरी-मार्च तक वायु प्रदूषण के चलते नोएडा समेत दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में सांस लेना दूभर हो जाता है. उस समय वायु प्रदूषण चरम पर होता है. हवा में पीएम-2.5 के आंकड़े डराने लगते हैं.


    नोएडा में बनने वाले इस स्मॉग टावर के आकार की बात करें तो इसमें हवा छानने वाले 10 हजार फिल्टर लगे होंगे जो हवा छानेंगे और 40 बड़े पंखे लगेंगे जो साफ़ हवा बाहर फेकेंगे जानकारों का कहना है कि इस तरह के स्मॉग टावर से करीब एक किमी दायरे की हवा को ही साफ किया जा सकेगा.
    एक रिपोर्ट के अनुसार, यह 20 मीटर यानी करीब 7 फ्लोर के बराबर होगा. इसमे कंक्रीट के टावर की ऊंचाई 20 मीटर होगी, जबकि उसके ऊपर छह मीटर की कैनोपी है. इसके बेस में चारों ओर 10-10 पंखे लगे हैं. प्रत्येक पंखा प्रति सेकेंड 25 घन मीटर फेंक सकता है, अर्थात एक सेकेंड में कुल 1000 घनमीटर हवा बाहर आ सकती है. टावर के भीतर दो लेयर में कुल 5000 फिल्टर लगाये गये हैं. फिल्टर और फैन अमेरिका से मंगाये गये हैं.

    ऐसे हवा को फिल्टर करेगा स्मॉग टावर
    स्मॉग टावर का ऊपरी हिस्सा बाहर की प्रदूषित हवा को अंदर खींचता है. चारों दिशाओं में बनी 4 केनोपी के सहारे यह प्रदूषित हवा फ़िल्टर तक पंहुचती है. ये फ़िल्टर इस हवा में से प्रदूषित कणों को बाहर कर देते हैं और फिर छनी हुई हवा बड़े बड़े पंखों से बाहर निकाली जाती है. इस तरह ये टावर बाहर से प्रदूषित हवा को लेकर अंदर फ़िल्टर से साफ करता है और फिर साफ़ हवा को बाहर छोड़ देता है.

    हवा की गुणवत्ता पर पड़ेगा असर, दो साल होगी मॉनिटरिंग
    आईआईटी-बम्बई द्वारा कम्प्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स मॉडलिंग से पता चलता है कि स्मॉग टावर से इसके एक किमी तक की हवा की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है. दो साल के पायलट अध्ययन में आईआईटी-बम्बई और आईआईटी-दिल्ली द्वारा वास्तविक प्रभाव का आकलन किया जाएगा, जिसके तहत यह भी निर्धारित किया जाएगा कि विभिन्न मौसम की भिन्न-भिन्न स्थितियों के तहत टावर कैसे काम करता है, और हवा के प्रवाह के साथ PM 2.5 का स्तर कैसे बदलता है. टावर में मौजूद ऑटोमेटेड सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्वीजिशन प्रणाली वायु की गुणवत्ता को मॉनिटर करेगी. ये मॉनिटर टावर से अलग-अलग दूरी पर स्थापित किये जाएंगे, ताकि इन दूरियों के अनुरूप इसके असर का आकलन किया जा सके.

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