नई दिल्ली: सरकारी बैंकों की माली हालत सही करने के लिए सरकार बैंकों में पूंजी डालने का काम करती रही है. इसके लिए बाकायदा बजट में एक निश्चित राशि का प्रावधान किया जाता है. लेकिन इस साल 1 फरवरी 2023 को पेश होने वाले बजट में इसकी संभावना ना के बराबर है. इसकी वजह सरकारी बैंकों का जबरदस्त मुनाफा कमाना है. इसके अलावा बैंकों ने अपनी आय बढ़ाने के ये नए तरीके भी निकाले हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने संभावना जताई है कि अगले वित्त वर्ष के बजट में सरकार की तरफ से बैंकों में नई पूंजी डालने की घोषणा करने की संभावना कम ही दिख रही है. इसकी वजह सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति का पहले से बेहतर होना है. इतना ही नहीं रेग्यूलेटर की ओर से सरकारी बैंकों को जितना पूंजी पर्याप्तता अनुपात रखना तय किया गया है, मौजूदा वक्त में ये उससे अधिक है और 14 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत के बीच पहुंच चुका है.
बैंकों ने निकाला पैसा जुटाने का ये तरीका
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि बैंक अब अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए बाजार से फंड जुटा रहे हैं. इसके अलावा वे अपने नॉन-कोर एसेट्स की भी बिक्री कर रहे हैं. सरकार ने इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी तरफ से पूंजी डाली थी.
सरकार ने बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का फैसला किया था. पिछले पांच वित्त वर्ष यानी 2016-17 से 2020-21 की अवधि में सरकारी बैंकों में 3,10,997 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है. इनमें से 34,997 करोड़ रुपये का इंतजाम बजट आवंटन से किया गया जबकि 2.76 लाख करोड़ रुपये इन बैंकों को पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड जारी कर जुटाए गए.
सरकारी बैंकों ने कमाया जबरदस्त मुनाफा
देश के 12 सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कुल 15,306 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था. दूसरी तिमाही में यह बढ़कर 25,685 करोड़ रुपये हो गया. अगर एक साल पहले से तुलना करें तो पहली तिमाही में इन बैंकों का मुनाफा पहली तिमाही में 9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 50 प्रतिशत बढ़ा है.
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने दूसरी तिमाही में अब तक का सर्वाधिक 13,265 करोड़ रुपये लाभ कमाया है. साल भर पहले की समान तिमाही की तुलना में यह वृद्धि 74 प्रतिशत रही है.
बैंकों ने बांटा 7,800 करोड़ का लाभांश
चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से सितंबर की अविध में सरकारी बैंकों का कुल लाभ 32 प्रतिशत बढ़कर 40,991 करोड़ रुपये रहा. इसके पहले वित्त वर्ष 2021-22 में कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद इन बैंकों का कुल लाभ दोगुना बढ़कर 66,539 करोड़ रुपये रहा था.
कई बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में अपने ग्राहकों को लाभांश देने की भी घोषणा की थी. कुल 9 सरकारी बैंकों ने शेयरधारकों को 7,867 करोड़ रुपये लाभांश के तौर पर बांटे थे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था कि फंसे कर्ज की समस्या दूर करने के लिए सरकार ने जो प्रयास किए, उससे उनका लाभ बढ़ने लगा है.
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