आयुष्मान कार्ड के बाद भी नहीं मिल पाता इलाज
इंदौर । प्रदीप मिश्रा
प्रदेश के सबसे बड़े एमवाय हॉस्पिटल (MY Hospital) में आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) योजना के बाद भी जरूरतमंदों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। हालत यह है कि एमवायएच परिसर में संचालित सामाजिक संस्थाओं को सोशल मीडिया पर 24 घंटे सातों दिन इंदौरी दानदाताओं से दान मांगना पड़ता है। दानदाताओं द्वारा हर साल लगभग एक करोड़ रुपए का दान दिया जाता है, तब इनका इलाज हो पाता है।
आयुष्मान कार्ड योजना में 5 लाख रुपए तक का इलाज भले मुफ्त है, मगर इसका लाभ सिर्फ उन गंभीर बीमारियों के लिए है, जिनके लिए ऑपरेशन या एडमिट होना जरूरी है । शुरुआती मेडिकल जांचों अथवा इलाज के लिए कोई भी सरकारी मदद नहीं मिलतीं। इस वजह से एमवाय के डॉक्टर खुद परिसर में चलने वाली सामाजिक संस्थाओं के पास मरीज को भेज देते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या रोजाना 20 से 25 होती है।
सोशल मीडिया पर मांगना पड़ता है 24 घंटे दान
– एक साल की बच्ची वंशिका काजल की डिब्बी निगल गई थी। एक्सरे से कुछ पता नहीं लगा। डॉक्टर ने गले, छाती और पेट की सीटी स्कैन कराने को कहा है। पिता खेतिहर मजदूर हैं। उसके पास तो सिर्फ इलाज के लिए महज 5000 रुपए ही थे।
– तीस साल की देवकी को गायनिक ऑपरेशन के बाद दो मर्तबा टांके लगाए, मगर दोनों बार खुल गए, जिस कारण लगातार खून बह रहा है। रोकने के लिए रोज 6 इंजेक्शन 7 दिन तक लगना है। एक इंजेक्शन 140 रुपए का है। पति के पास महज 700 रुपए हैं।
– 28 साल की सपना के पेट में खाने की नली डालने के लिए 12 हजार रुपए खर्च होना है। माता-पिता के पास कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ जांचें तो डॉक्टर ने अपने पैसों से करवाकर दीं।
– 12 साल के श्रेयन की आंखों की सूजन कम नहीं हो रही है। दिमाग में संक्रमण फैलने की आशंका है। उसे तत्काल एमआरआई की जरूरत है।
आयुष्मान योजना बनाई ही गरीबों के इलाज के लिए है, मगर जो नियम बनाए हैं, उनका पालन करना होगा।
-डॉ. एसएस सिसोदिया, आयुष्मान योजना, जिला स्वास्थ्य विभाग
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