चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सेक्टर 32 के कोविड वार्ड की व्यवस्था धड़ाम हो चुकी है। अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि जिस काम को अस्पताल के अटेंडेंट को करना चाहिए, वह मरीजों के परिजनों से कराया जा रहा है। वार्ड में भर्ती मरीज का हाथ बेड से बांधकर इलाज किया जा रहा है और मरीज के परिजनों से वार्ड में फैले शौच की सफाई कराई जा रही है। वहीं अस्पताल प्रशासन इन गड़बड़ियों से अनभिज्ञ है। अस्पताल की डायरेक्टर प्रिंसिपल का कहना है कि कोविड-19 वार्ड में मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सारी व्यवस्थाएं की गई हैं।
हाथ बंधे.. कैसे खाना खाएगा मरीज
अस्पताल के ए ब्लॉक के एरिया 36 में बनाए गए कोरोना वार्ड में भर्ती एक वृद्ध का हाथ बेड से बांधकर रखा गया है। ऐसे में वह वृद्ध न तो बैठ सकता है न ही करवट बदल सकता है। इतना ही नहीं सामने रखा खाना भी पड़े-पड़े ठंडा हो रहा है, लेकिन वह खा नहीं पा रहा। वार्ड अटेंडेंट को भी उस मरीज पर दया नहीं आ रही। वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों के परिजनों का कहना है कि उस मरीज के परिजन को वार्ड में नहीं जाने दिया जा रहा है जबकि उस मरीज की हालत बहुत गंभीर है। वार्ड अटेंडेंट उसे हाथ भी नहीं लगाते।
वार्ड में परिजन कर रहे सफाई
अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में भर्ती मरीजों के शौच की सफाई के लिए उनके परिजनों को वार्ड में बुलाया जा रहा है। कोरोना संक्रमित एक मरीज के परिजन ने बताया कि उसकी मां छह दिन से वहां भर्ती है। आमतौर पर तो उसे वार्ड में नहीं जाने दिया जाता, लेकिन जब यूरिन बैग भरकर फट जाता है तो बेड के नीचे सफाई के लिए उसे जबरदस्ती बुलाया जाता है जबकि यह काम वार्ड के अटेंडेंट का है। अटेंडेंट मरीज को तो हाथ लगाते नहीं, शौच की सफाई क्या करेंगे। परिजन ने बताया कि अस्पताल के कोविड वार्ड की स्थिति बहुत ही दयनीय है।
विशेषज्ञ बोले- हाथ बांधकर इलाज करना गलत, कोविड मरीज मानसिक रोगी नहीं
वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के सलाहकार आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमणीक सिंह बेदी का कहना है कि कोविड-19 के कारण मरीज में ऐसा कोई बदलाव नहीं आता, जिस कारण उसके हाथ पर बांधने की नौबत आ जाए। आमतौर पर मानसिक रूप से विक्षिप्त या स्ट्रोक व ऐसी ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के हाथ बांधने की नौबत आती है। लेकिन उन मरीजों को जनरल वार्ड में नहीं रखा जा सकता। जनरल वार्ड में भर्ती मरीज के साथ अगर ऐसा किया गया है तो वह गलत है। इससे उस मरीज के साथ ही वहां भर्ती अन्य मरीजों का तनाव बढ़ सकता है। इससे उनका इलाज भी प्रभावित हो सकता है।
“अस्पताल में कोविड के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कोविड वार्ड में नर्सिंग स्टूडेंट और इंटर्न की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा अटेंडेंट की भी संख्या बढ़ा दी गई है। जहां तक मरीज का हाथ बांधे जाने की बात है तो इसकी जांच कराई जाएगी, ताकि हकीकत का पता चल सके।”
-डॉ जसविंदर कौर, डायरेक्टर प्रिंसिपल जीएमसीएच- 32
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