उज्जैन। जिले सहित प्रदेश के निजी स्कूलों में बच्चों के लिए चलाई जाने वाली बसों के परमिट आसानी से नहीं मिल सकेंगे। बसों में लगने वाली अचानक आग से निपटने के लिए बस के ऊपर एक वाटर टैंक रखना होगा। आग लगते ही इस वाटर टैंक से पानी की बारिश की तरह फव्वारे निकलेंगे और आग पर तत्काल काबू पा सकेंगे। परमिट के लिए आरटीओ पहुंचने के बाद बस में यह पानी का टैंक लगा होना अब अनिवार्य रहेगा।
उज्जैन सहित मध्य प्रदेश के सभी जिलों में परिवहन विभाग अब तभी स्कूल बसों का पंजीयन तभी करेगा जब उसमें फायर अलार्म एंड प्रोटेक्शन सिस्टम डिवाइस लगी होगी। इसमें बसों की छतों पर एक वाटर टैंक बना होगा। अगर बस में आग लगती है, तो डिवाइस एक्टिव हो जाएगा। इसके बाद बस की छत पर लगे फव्वारे चालू होकर आग बुझाएंगे। स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन लगातार प्रयास करता रहता है। स्कूलों के लिए खरीदी नई बसों का परिवहन विभाग में पंजीयन तभी किया जा रहा है जब उसमें फायर अलार्म एंड प्रोटेक्शन सिस्टम (एफएपीएस) डिवाइस लगी हो। बसों में आग लगने पर इस डिवाइस के कारण सीटों पर पानी का फव्वारा शुरू हो जाएगा और आग पर तत्काल काबू पा सकेंगे। एफएपीएस डिवाइस फायर अलार्म एंड प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसमें बस की छत पर वाटर टैंक बनाना होता है। इसके साथ नाइट्रोजन सिलिंडर भी लगाया जाता है। बस के अंदरुनी हिस्से यानी सीटों के ऊपर पाइप लाइन डालकर उसमें स्प्रिंकलर लगाने होते हैं। बस में आगजनी की घटना होने पर यह नाइट्रोजन और पानी को पाइप लाइन में पहुंचाता है और स्प्रिंकलर के माध्यम से तेजी से सीटों पर आता है, जिससे त्वरित गति से आग पर नियंत्रण पा सकते हैं।
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