86 फीसदी से ज्यादा हो गई मौत… 41 से 60 साल की उम्र के लोग आए चपेट में… फिर भी वैक्सीनेशन की मंजूरी नहीं
इंदौर। पिछले दिनों अग्निबाण ने यह खुलासा भी किया था कि बीते एक साल में इंदौर में ही जितने कोरोना संक्रमित (Corona infected) मरीज मिले हैं उनमें 41 से 60 साल की उम्र के लोग अधिक शामिल हैं। अभी जो कोरोना (Corona) की दूसरी लहर चल रही है उसमें युवा तेजी से संक्रमित हो रहे हैं और उनकी मौतें भी लगातार हो रही है। पिछले कुछ दिनों के आंकड़े ही बताते हैं कि 41 से 60 साल की उम्र के लोगों में मौत का आंकड़ा 12 प्रतिशत तक बढ़ गया है। बीते कुछ दिनों में ही इस उम्र के 46 फीसदी से अधिक लोग संक्रमित की चपेट में आकर काल कवलित हो गए और अभी लगातार युवा संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती तक हो रहे हैं।
केन्द्र सरकार (central government) ने पहले यह दलील दी कि 45 साल से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन (vaccine) इसलिए नहीं लग रही क्योंकि वे संक्रमण का कम शिकार होता है और उस पर इशका ज्यादा असर नहीं होता और वे जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं, जबकि बुजुर्ग और बीमारियों से ग्रसित लोगों पर यह ज्यादा घातक साबित होता है। हालांकि यह बात काफी हद तक सही भी है, लेकिन अगर आंकड़ों को देखा जाए तो बीते एक साल में जो 80 हजार से अधिक इंदौर में कोरोना (Corona) पॉजिटिव घोषित हुए, उनमें 45 फीसदी से ज्यादा 41 से 60 साल की उम्र के लोग हैं। वहीं अभी जो दूसरी लहर चल रही है इसमें बड़ी संख्या में युवा संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। अभी इंदौर में ही 23 मार्च से लेकर 11 अप्रैल के बीच हुई कोरोना (Corona) मौतों के आंकड़ों से यह साबित होता है कि 12 प्रतिशत तक इस उम्र के लोगों में मौत बढ़ गई और 41 से 60 साल के बीच 46.3 प्रतिशत संक्रमितों की मौत हुई है। इस अवधि में जो 54 मौतें कोरोना के चलते हुई है उनमें से दो मौतें 21 से 40 साल की उम्र के लोगों की भी हुई, तो 25 मौतें 41 से 60 साल के बीच की उम्र के लोगों की और इतनी ही मौतें 61 से 80 साल के बुजुर्गों की हुई है। वहीं 80 साल से अधिक उम्र के दो बुजुर्गों की भी मौत हुई है। अभी जो संक्रमित लोगों की जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक युवा वर्ग तेजी से इसकी चपेट में आ रहा है और सिटी चेस्ट स्कैन (city chest scan) की जांचों से भी इस तथ्य की पुष्टि हो रही है और युवाओं में लंग्स इंफेक्शन भी तेजी से बढ़ा। इसका एक कारण यह है कि यह वर्ग सबसे अधिक एक्सपोजर में रहता है। पढ़ाई, जॉब के अलावा अन्य कार्यों से इस वर्ग का ही बाहर निकलना ज्यादा होता है और सामने आ रहे आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं।
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