चुनाव के चलते सभी पसंदीदा अफसरों की तैनाती में जुटे, तारीख बढ़वाने का भी बनाया दबाव… थोक में पड़े हैं सभी विभागों के आवेदन
इंदौर। कोविड के बाद जिस तरह से हर तरह का बाजार तेजी से चल रहा है उसी तरह तबादला उद्योग की रौनक भी इस बार ज्यादा नजर आ रही है। हालांकि पिछले दिनों प्रतिबंध हटाने के बाद तमाम विभागों में थोकबंद आदेशों की सूची जारी होती रही है। मगर अभी भी कई विभागों के थोक आवेदन भोपाल में मंत्रियों-आला अफसरों के दफ्तरों में पड़े हैं। चूंकि अगले साल विधानसभा चुनाव होना है, लिहाजा हर नेता अपने पसंदीदा अफसर या कर्मचारी की नियुक्ति करवाना चाहता है। 10 अक्टूबर तक तबादलों से प्रतिबंध हटाया गया था, अब पुन: तारीख बढ़ाने की मांग की जा रही है। मंत्रियों, भाजपा के पदाधिकारियों, नेताओं की तो मानों लॉटरी ही लग गई है। मनचाही पोस्टिंग के लिए अफसर मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हैं। इंदौर जैसी कमाऊ जगह पर तो ट्रांसफर-पोस्टिंग का भी एक बड़ा अलग व्यवसाय शुरू हो गया है। अभी हाल ही में क्राइम ब्रांच की पोस्टिंग और उसके कारनामे सामने आए ही हैं।
एक जमाना था जब किसी थाना प्रभारी का तबादला जिले में होता था और फिर वहां के एसपी की इच्छा पर निर्भर करता था कि उसे कौन-सा थाना दिया जाए। मगर अब राजनीतिक जोड़-तोड़ के चलते तबादला आदेश के आदेश के साथ ही संबंधित थाने में पदस्थापना का भी स्पष्ट उल्लेख रहता है। यानी जो कमाऊ थाने हैं उनकी एक तरह से बोली लगती है। इंदौर में ही ऐसे कई थाने हैं, जिनके लिए लाखों रुपए की रिश्वत देकर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराई जाती रही है और अभी तो यह चलन और अधिक बढ़ गया, क्योंकि रियल इस्टेट से लेकर तमाम कारोबार के चलते इंदौर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी है। कल निलंबित किए गए क्राइम ब्रांच के टीआई धनेन्द्रसिंह भदौरिया की कारगुजारी सामने आ ही गई है। किस तरह लाखों-करोड़ों रुपए की खुलेआम लूटपट्टी उनके द्वारा डरा-धमकाकर की जा रही थी। ऐसे एक नहीं अनेकों किस्से हैं। फिलहाल तबादला उद्योग दीपावली के अन्य बाजारों की तरह गुलजार है और सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भोपाल चक्कर काट रहे हैं। सांसद, विधायक, मंत्री, से लेकर तमाम पदाधिकारियों और अन्य नेताओं के पास सिफारिशी आवेदनों की बरमार है। उनमें से अधिकांश तबादले लेन-देन के जरिए ही होते हैं। सभी को कमाऊ व अच्छी पोस्टिंग चाहिए। यही कारण है कि फिर से दबाव बनाया जा रहा है कि आज 10 अक्टूबर की जो तबादलों से रोक हटाई थी उसकी समय सीमा और बढ़ा दी जाए। पहले 17 सितम्बर, उसके बाद 5 अक्टूबर और फिर 10 अक्टूबर तक ये तारीख बढ़ाई गई। अभी यह तर्क भी तमाम नेताओं द्वारा दिया जा रहा है कि चूंकि पूरी सरकारी मशीनरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उज्जैन आगमन की तैयारियों में व्यस्त है। कल मोदी जी महाकाल लोक का लोकार्पण कर रहे हैं, जिसके चलते मुख्यमंत्री से लेकर आला अफसर इसकी तैयारियों में ही जुटे हैं, जिसके कारण तबादला आदेश भी लम्बित पड़े हैं और आवेदनों का ढेर भी लग गया है। यही कारण है कि मंत्रियों से लेकर सांसद, विधायक और अन्य पदाधिकारी दबाव बना रहे हैं कि तबादलों पर हटाया गया प्रतिबंध अभी आगे की तारीखों तक लागू रहे, ताकि वे अपनी मनचाही पोस्टिंग करवा सकें। पुलिस, प्रशासन, निगम, परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा विभाग, आबकारी, वन विभाग से लेकर अन्य सभी विभागों में तबादलों को लेकर ही इन दिनों सरगर्मी मची हुई है। तीन साल से एक ही जिलों में पदस्थ अधिकारियों को भी हटाया जाना है। चूंकि चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश रहता है कि चुनाव से पहले तीन साल से जमे हुए महत्वपूर्ण पदों के अफसरों के तबादले किए जाएं। मध्यप्रदेश का तबादला उद्योग हमेशा से सुर्खियों में रहा है, जिसमें करोड़ों रुपए का अघोषित व्यापार हो जाता है।
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