जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के 8 न्यायाधीशों का तबादला किया गया है. मुख्य पीठ जबलपुर (Main Bench Jabalpur) में 4 न्यायाधीशों की पोस्टिंग की गई है. इसी तरह ग्वालियर (Gwalior) में दो और इंदौर (Indore) में एक जज की पदस्थापना की गई है. सभी न्यायाधीश शीतकालीन (judge winter) अवकाश के बाद 02 जानवरी 2023 से अपनी पदस्थापना वाले उच्च न्यायालय की बेंचों में बैठेंगे.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने कामकाज की नई व्यवस्था के तहत जस्टिस अतुल श्रीधरन को जबलपुर से ग्वालियर, जस्टिस एस ए धर्माधिकारी को जबलपुर से इंदौर, जस्टिस आनंद पाठक को ग्वालियर से जबलपुर, जस्टिस जी एस अहलूवालिया को ग्वालियर से जबलपुर, जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह को इंदौर से ग्वालियर, जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा को इंदौर से जबलपुर, जस्टिस अमरनाथ केसरवानी को इंदौर से जबलपुर और जस्टिस पी सी गुप्ता को जबलपुर से इंदौर बेंच में स्थानांतरित किया है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों के 53 पद स्वीकृत हैं. कुछ माह पहले दो जजों की नियुक्ति के बाद अब कार्यरत जजों की संख्या 34 हो गई है. अभी भी हाईकोर्ट में जजों के 19 पद रिक्त हैं. यहां बता दें कि सिविल और क्रिमिनल केसों की पेंडेंसी के मामले में मध्य प्रदेश की स्थिति बेहद खराब है. पेंडिंग केसों को निपटाने में मध्य प्रदेश सरकार की नीति कारगर साबित नहीं हो पा रही है. राज्य सरकार की नीति है कि कोई भी पेंडिंग केस 3 साल से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन एमपी में 11 साल पुराने केस तक लंबित हैं.
इतना ही नहीं, पिछले एक साल में ही हाईकोर्ट पर 23 हजार केसों का बोझ बढ़ गया है. केंद्र सरकार ने हाल ही में सभी राज्यों के केसों का ब्योरा दिया है, जिसमें मध्य प्रदेश में पेंडिंग केसों की संख्या 4 लाख 17 हजार निकली है. यह स्थिति तब है जब मध्य प्रदेश में न्याय देने वाले जजों की संख्या बमुश्किल 34 है.
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