इंदौर। इंदौर (लक्ष्मीबाई नगर) से बरलई तक 21.66 किलोमीटर लंबे सेक्शन में बिछाई गई दूसरी लाइन पर 29 दिसंबर से यात्री ट्रेनों की आवाजाही शुरू करी गई है। अभी पश्चिमी सर्कल के कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) आर.के. शर्मा ने इस रूट पर अधिकतम 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाने की अनुमति दी है। इससे पहले गुरुवार सुबह 9.30 बजे से बरलई से सीआरएस ने बरलई से इंदौर की ओर ट्रॉली इंस्पेक्शन शुरू किया। आठ ट्रॉलियों में सवार होकर रेलवे और सीआरएस की विभिन्न टीमें पूरे सेक्शन में किए गए काम का आंकलन करती हुई शाम पांच बजे इंदौर पहुंची।
सीआरएस ने ट्रैक पाइंट, स्टेशन और प्लेटफॉर्म की सुविधाएं, सिग्नलिंग-टेलीकॉम, पुल-पुलियाओं आदि का बारीकी से निरीक्षण किया। लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर कुछ देर ठहरने के बाद वे सीआरएस स्पेशल ट्रेन में सवार हुए और बरलई तक 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से स्पीड ट्रायल लिया। उनके साथ पश्चिम रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) विनीत गुप्ता, डीआरएम रजनीश कुमार, चीफ इंजीनियर धीरज कुमार और डिप्टी चीफ इंजीनियर अंकुरकुमार सिंह आदि मौजूद थे। काम पूरा होने से इंदौर-देवास-उज्जैन सेक्शन दोहरीकरण परियोजना पूरी हो गई है और इस सेक्शन में ट्रेनों को क्रासिंग के लिए जगह रुकना नहीं पड़ेगा, साथ ही यात्रा समय में 15-20 मिनट की बचत होगी। आने वाले कुछ महीनों में यात्री ट्रेनों की गति बढ़ाई जा सकेगी।
अनुमति मिल गई है
निरीक्षण के बाद डीआरएम ने अग्निबाण को बताया कि बरलई-इंदौर के बीच सीआरएस ने अधिकतम 95 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेनें चलाने की अनुमति दे दी है। 29 दिसंबर से ही नई लाइन पर यात्री ट्रेनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है।
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