भोपाल। नजीराबाद थाना क्षेत्र स्थित गांव खेरखेड़ा के पंचायती तालाब में डूबने से दो सगे मासूम भाइयों की मौत हो गई। वह डूबते समय मदद के लिए चिल्ला रहे थे, पास खेत में काम कर रही मां को लगा कि दोनों मस्ती कर रहे हैं। सोमवार दोपहर करीब तीन बजे के आस पास का है, इसी दौरान दोनों खेत से दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित घर जाने का कहकर निकले थे। शाम को वे घर नहीं पहुंचे तो परिजन और ग्रामीणों ने उनकी तलाश की थी। इस दौरान दोनों की लाश पंचायती तालाब में मिली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों बच्चों की लाश पीएम के लिए मर्चूरी भेज दी है। आज पीएम के बाद परिजन को लाश सौंपी गई।
थाना प्रभारी बीपी सिंह ने बताया कि भगवान सिंह मैहर गांव खेरखेड़ा में रहते हैं। वे पेशे से किसान है। उनके परिवार में पत्नी के अलावा तीन बच्चे थे। उनकी पत्नी कविता मैहर ने पुलिस को बताया कि गांव में ही शासकीय भूमि पर वे खेती किसानी करते हैं। पंचायती तालाब से कु छ दूरी पर खेत है। दोपहर करीब तीन बजे के आसपास पत्नी खेत पर काम कर रही थी। इस दौरान उनके साथ बेटो वीरेंद्र मैहर (9) और निर्मल मैहर (8) मौजूद था। वीरेंद्र और निर्मल ने उनसे कहा कि मां हम घर जा रहे हंै। कविता ने उन्हें कहा था कि थोड़ा काम बचा है रुको साथ चलेंगे, लेकिन दोनों ने घर जाने की जिद की और मां ने उन्हें इजाजद दे दी। कविता ने पुलिस को बताया कि वह घर पहुंची तो वहां बड़ा बेटा बस था, जबकि वीरेंद्र और निर्मल नजर नहीं आए। घटना की जानकारी कविता ने पति भगवान सिंह को दी। इसके बाद दंपती बच्चों की तलाश आसपास करने लगे। इधर ग्रामीणों को भी पता चल गया कि वीेरेंद्र और निमज़्ल लापता है और वह भी तलाश में मदद करने लगे। ग्रामीणों ने अनहोनी की आशंका पर तालाब किनारे पहुंचकर तलाश की थी। इस दौरान वीरेंद्र और निर्मल के कपड़े तालाब किनारे पड़े नजर आए। ग्रामीणों ने तालाब में बच्चों की तलाश की और करीब तीस मिनट की मशक्कत के बाद दोनों बच्चों के शव पानी से बाहर निकालकर पीएम के लिए भेज दिए गए। शव देखते ही मां बिलखते हुए बोली कि मदद के लिए बच्चे चिल्ला रहे थे, मुझे आवाज भी आई थी, मैं मस्ती मजाक समझकर काम में लगी रही।
नहीं है तलाब के आसपास फैंसिंग
गांव में बनाए गए इस पंचायती तालाब में सुरक्षा के लिहाज से फैंसिंग नहीं है। यहां बच्चें और ग्रामीण नहाने और कपड़े धोने समेत शौच के लिए जाते हैं और अक्सर हादसे की आशंका बनी रहती है। उल्लेखनीय है कि अभी दो महीने पहले ही बैरसिया शासकीय तालाब में डूबने से तीन मासूमों की मौत हो गई थी।
गांव में मातम का महौल
दोनों शव आज दोपहर को गांव में पहुंचे। यह देखकर मृतक का परिवार सहित आस पास के ग्रामीण बिलख पड़े। हादसे के बाद से ही गांव में मातम का महौल है। मृतक बच्चों की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह लगातार मौत के लिए स्वयं को दोषि मान रही है। वहीं पुलिस का कहना है कि मृतक बच्चों के खेत, तालाब और घर के बीच महज दो सौ मीटर की दूरी है।
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