भोपाल। राजधानी में ट्रैफिक पुलिस का मिशन बुलेट अब लोगों का बजट बिगाडऩे लगा है। दरअसल ट्रैफि क पुलिस बुलेट के मॉडीफ ाइड सायलेंसर को लेकर कोर्ट चालान कर मामला न्यायालय भेज देती है। जिसका खामियाजा लोगों को सात से दस हजार रुपए तक भुगतान कर चुकाना पड़ रहा है। जबकि पुलिस अगर मौके पर चालानी कार्रवाई करती है, तो नियम तोडऩे वाले से चालान के तौर पर मात्र दो हजार रुपए ही लिए जा सकते हैं। ऐसे में भोपालियों को चालान के तौर पर अधिक रकम चुकाकर जेब पर भार झेलना पड़ रहा है। अभी ट्रैफि क पुलिस बुलेट की चालानी के नाम पर करीब 23 लाख रुपए से अधिक वसूल चुकी है। हालांकि ये रकम कोर्ट के आदेश पर ही जमा की गई है। इसलिए विवाद की स्थिति नहीं है।
क्या है केंद्रीय और राज्य का नियम
केंद्रीय परिवाहन विभाग के नियमों के तहत बुलेट में मॉडीफ ाइड सायलेंर लगाने पर साढ़े छह हजार रुपए का जुमानज़ है। जबकि राज्य परिवाहन विभाग में दो हजार रुपए तक जुमानज़ लगाने का प्रावधान है। इतना ही नहीं पुलिस अगर चाहे तो मौके पर चालानी कार्रवाई कर दो हजार रुपए का जुर्माना वसूल सकती है।
दूसरे खर्च मिलाकर देने पड़ रहे दस हजार रुपए
कोर्ट केंद्रीय परिवाहन विभाग की गाइडलाइन के हिसाब से चालान बनाता है। सायलेंर मॉडीफ ाइड लगा होने पर साढ़़े हजार रुपए का चालान बनता है। अधिक राशि वसूलने इसमें मौके पर कोई दस्तावेज नहीं होने, लायसेंस नहीं होने और हैल्मेट तथा इनश्योरेंस नहीं होने का चालान भी एड किया जाता है। इसी के साथ ही वकील की फ ीस समेत अन्य खर्चे मिलाकर करीब दस हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं।
विक्रेताओं पर भी हो कार्रवाई
बुलेट में लगाने के लिए मॉडीफ ाय सायलेंसर बेचने वाले लोगों पर पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि दूसरे राज्यों पर मॉडीफ ाय सायलेंसर बेचने पर कार्रवाई करने के साथ ही उनके सायलेंसर भी जब्त कर लिए गए हैं।
यह है नियम
कंपनी से आई बाइक के सायलेंसर की आवाज तय मानकों पर रहती है। टीआई ट्रैफि क विशाल मालवीय ने बताया कि 70 डेसिमल से ज्यादा आवाज होने पर ध्वनि प्रदूषण की कार्रवाई होती है। जब्त किए गए वाहनों के सायलेंसर की आवाज जांची गई तो इनमें से कई की आवाज 100 डेसिमल से भी ज्यादा है।
पुलिस के टारगेट पर युवा अधिक
ट्रैफि क पुलिस की कार्रवाई में 99 फ ीसदी मामलों में युवाओं द्वारा ट्रैफि क नियम तोडऩे की पुष्टि हुई है। मॉडिफ ाइड साइलेंसर लगाकर बुलेट सड़क पर दौड़ाने वाले युवाओं को पकडऩे के लिए ट्रैफि क पुलिस ने विशेष अभियान चला रही है। इसके अलावा शहर के प्रमुख चौक चौराहों पर शराब पीकर बाइक चलाने वाले लोगों की धरपकड़ भी की जा रही है।
इनका कहना है
कोर्ट में चालान केंद्रीय परिवाहन विभाग की चालानी कार्रवाई के हिसाब से चालान बनता है। जबकि मध्यप्रदेश में अभी चालानी कार्रवाई को लेकर संशोधन नहीं हुआ है। इसलिए कोर्ट अधिक रकम का चालान बना रही है। पुलिस आरोपों से बचने के लिए कोर्ट चालान बनवा रही है।
मकरंद देउस्कर, पुलिस कमिश्नर भोपाल
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