इंदौर। इंदौर ट्रैफिक पुलिस अपनी करोड़ों की बकाया चालानी राशि वसूलने के लिए परिवहन विभाग का सहारा लेना चाहती है, लेकिन इस योजना के पटरी पर आते ही ट्रैफिक पुलिस को झटका लगा है। पुलिस ने परिवहन विभाग से मांग की थी कि किसी भी वाहन से जुड़े किसी भी काम से पहले जरूरी दस्तावेजों के साथ ट्रैफिक एनओसी भी अनिवार्य की जाए। इसे कुछ समय के लिए लागू भी किया लेकिन नया वाहन पोर्टल लागू होते ही ये व्यवस्था बंद हो गई है।
उल्लेखनीय है कि कैमरों के जरिए चालान बनाने वाली इंदौर ट्रैफिक पुलिस के लिए चालान बनाना तो आसान है लेकिन इसकी वसूली सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए पुलिस ने परिवहन विभाग के सामने यह मांग रखी थी कि वाहनों से जुड़े कामों में ट्रैफिक एनओसी को अनिवार्य किया जाए, ताकि जब भी कोई वाहन मालिक वाहन से जुड़े किसी काम के लिए आरटीओ जाए तो उसे ट्रैफिक पुलिस के पास भी जाना पड़े और तब उसके सभी बकाया चालानों की वसूली आसानी से हो सके। कुछ समय पहले परिवहन विभाग ने इस पर मंजूरी भी दे दी थी और वाहन मालिकों को यह एनओसी भी लाना पड़ रही थी, लेकिन 1 जनवरी से ही प्रदेश में लागू हुए केंद्र सरकार के वाहन पोर्टल पर वाहनों से जुड़ा सारा काम शिफ्ट होने के बाद सारे काम ऑनलाइन हो गए हैं। इससे आवेदकों को आरटीओ जाना तक अनिवार्य नहीं रह गया है और वाहनों से जुड़े सारे काम घर बैठे करने की सुविधा दी गई है। इसमें कुछ परेशानी जरूर आ रही है लेकिन जल्द इन्हें भी दूर किया जा रहा है। नई व्यवस्था के कारण अब ट्रैफिक पुलिस से एनओसी लाने की व्यवस्था भी बंद हो गई है।
हर डॉक्यूमेंट को अपलोड करने का अलग विकल्प, ट्रैफिक की जगह ही नहीं
वाहन पोर्टल पर सारा काम शिफ्ट होने के साथ ही परिवहन विभाग का काम भी पूरी तरह बदल गया है। आवेदकों को भी सारे डॉक्यूमेंट अपलोड करने के लिए अलग अलग विकल्प दिए हैं, जैसे वाहन के दस्तावेज, बीमा, पीयूसी, वाहन मालिक के दस्तावेज आदि। इनमे से हर दस्तावेज को अपलोड करने का पोर्टल पर अलग विकल्प है, लेकिन इनमें कहीं भी ट्रैफिक एनओसी का विकल्प ही शामिल नहीं है, इसलिए इस दस्तावेज के लिए कोई काम रोका ही नहीं जा सकता है।
केंद्र से करना होगी अपील जो संभव नहीं
परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि इस पोर्टल को केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा एनआईसी से बनवाया गया है और इसके सभी विकल्प मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार होने के साथ ही पूरे देश के एक समान रूप से लागू हैं। इसके चलते इस पोर्टल पर ट्रैफिक एनओसी के विकल्प को जोडऩे के लिए स्थानीय पुलिस को केंद्र सरकार से मांग करना होगी और इंदौर पुलिस की इस मांग को लागू करने के लिए पोर्टल पर पूरे देश के लिए बदलाव करना होगा जो लगभग असंभव है, क्योंकि ऐसा किए जाने पर इसके खिलाफ कोई पक्ष कोर्ट भी जा सकता है और इसके वैधानिक ना होने पर इसे चुनौती दे सकता है। इसके और आगे बात करें तो इस व्यवस्था के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में ही परिवर्तन करवाना होगा जो बहुत जटिल प्रक्रिया है।
ट्रैफिक पुलिस को 8 लाख से ज्यादा चालानों से वसूलना है 40 करोड़ से ज्यादा
ट्रैफिक पुलिस से शहर में जनवरी 2015 से आरएलवीडी से चालान बनाने की व्यवस्था शुरू की थी। पुलिस से ही मिली जानकारी के मुताबिक जुलाई 2022 तक ही पुलिस के 8,03,841 चालानों से 40,19,20,500 रुपए वसूलना बाकी है। जुलाई से अब तक इन आंकड़ों में और भी बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके चलते पुलिस इन चालानों की वसूली को लेकर काफी परेशान हैं और अलग अलग विभागों से इसके लिए मदद मांग रही है। पिछले दिनों परिवहन विभाग द्वारा इस व्यवस्था में सहयोग के कारण एक सिटी वैन के 100 चालान सामने आए थे और उन्हें चुकाने के बाद ही वाहन का ट्रांसफर हो पाया था, इससे ट्रैफिक पुलिस को काफी राहत मिल रही थी लेकिन अब दोबारा यह व्यवस्था बंद हो गई है।
ट्रैफिक पुलिस से मांगेंगे उनके पोर्टल की लिंक
वाहन पोर्टल लागू होने से पहले हमने ट्रैफिक पुलिस की मांग पर ट्रैफिक एनओसी को लागू किया था, लेकिन पोर्टल लागू होते ही इसमें ऐसा कोई विकल्प ना होने के कारण यह बंद हो गई है। अगर ट्रैफिक पुलिस को आगे भी हमारी मदद चाहिए तो हम उनसे उनके बकाया चालानों की जानकारी वाले पोर्टल की लिंक मांगेंगे, ताकि ट्रांसफर से पहले एनओसी के बजाए हमारा स्टाफ खुद एक बार इसे चेक कर ले और बड़े बकायादारों को किसी तरह से पकड़ सके।
– प्रदीप शर्मा, आरटीओ, इंदौर
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