भोपाल। तिराहे-चौराहे में चिलचिलाती धूप से बचाव के साधन नहीं होने से ट्रैफि क पुलिसकर्मी हलाकान हैं। प्रचंड गर्मी से बचने के लिए दोपहर डेढ़ बजे के बाद अधिकतर चेक प्वाइंट से पुलिसकर्मी हट जाते हैं। इसका बड़ा असर राजधानी में ट्रैफि क मैनेजमेंट पर पड़ रहा है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि 42 डिग्री सेल्सियस तापमान में ड्यूटी करने वाले मैदानी कर्मचारियों का दर्द एसी ऑफि स-कार में रहने-घूमने वाले अधिकारियों को नहीं दिखता। यही वजह है कि ड्यूटी का हुक्म तो दे दिया जाता है, लेकिन गर्मी से बचाने के लिए कोई व्यवस्था विभाग, अधिकारियों की तरफ से नहीं की जाती। करीब आधा सैकड़ा प्रमुख तिराहे-चौराहों पर यही हालात हैं। जहां लग-भग 500 से अधिक ट्रैफि क पुलिसकर्मियों की हर रोज ट्रैफि क मैनेजमेंट के अलग-अलग तिराहे-चौराहे पर ड्यूटी लगाई जाती है।
पुरानी छतरी और एक ओआरएस के बूते करा रहे ड्यूटी
तिराहे-चौराहे पर पुलिस के लिए निर्धारित प्वाइंट पर पानी की व्यवस्था अब तक पर्याप्त रूप से नहीं की गई। पुलिसकर्मी बिना मास्क-इयर प्लग के प्वाइंट पर तैनात होने को मजबूर हैं। पानी तक उन्हें खरीदकर पीना पड़ता है। बीते दो दिनों से एक समय ओरआरएस दिया जा रहा है। मैदानी अमले का कहना है कि विभाग को अलग से बजट आता है, जिसे अधिकारी अपने हित से जुड़े काम में खर्च कर देते हैं। हालांकि एक महीने पहले यातायात के जवानों को पुरानी छत्रियां रिपेयर कराकर दी गई थीं। वहीं कुछ नई छत्रियां समाजिक संस्थाओं की मदद से खरीदकर कर्मचारियों में बांटी गई हैं। मैदानी पुलिसकर्मियों का कहना है कि उक्त छत्रियां किसी काम की नहीं, छत्रियां पुरानी होने के कारण सिर पर पहनने और उतारने के दौरान ही छत्रियां टूट जाती हैं।
बीमारियों का खतरा
डॉक्टर जेपी पालीवाल का कहना है कि ज्यादातर तेज धूप और धूल-धुएं में खड़े रहने से बहरापन, सांस की बीमारी के साथ फेफ डों की समस्याएं बढ़ जाती हैं।
इनका कहना है
ट्रैफिक पुलिस के पास करीब साढ़े तीन सौ का बल है। इतना ही बल अलग से मिला हुआ है। महज 50-60 पुलिसकर्मी ऑफिस का काम करते हैं। अधिकांश फील्ड में ही रहते हैं। बीते दो दिनों से फील्ड में तैनात जवानों को ओआरएस बांटा जा रहा है। सभी जवानों को धूप से बचने के लिए छत्रियां भी दी गई हैं।
विशाल मालवीय, टीआई ट्रैफिक थाना भोपाल
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