– कैट ने कहा, डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से व्यापार दूसरे राज्यों में होगा स्थानांतरित
नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने कहा है कि दिल्ली में डीजल वाहनों के एक अक्टूबर, 2022 से प्रतिबंध (diesel vehicles ban) लागू होने पर अपना कारोबार दूसरे राज्यों (business other states) में स्थानांतरित करेंगे। दरअसल, राजधानी में प्रदूषण रोकने के नाम पर दिल्ली सरकार ने आगामी एक अक्टूबर, 2022 से 28 फरवरी, 2023 तक दिल्ली में मध्यम और भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है।
केजरीवाल सरकार (kejriwal government) के इस फैसले को लेकर देश की राजधानी दिल्ली के व्यापारियों में अपने कारोबार के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस मुद्दे पर कैट ने बुधवार को दिल्ली के सभी भागों के प्रमुख व्यापारी संगठनों की एक बैठक बुलाई जिसमें लगभग 200 से अधिक व्यापारिक संगठनों के नेता मौजूद थे।
इस बैठक में कारोबारियों ने एकमत होकर कहा कि यदि केजरीवाल सरकार अपने आदेश को वापस नहीं लेती है, तो मजबूर होकर दिल्ली के व्यापारियों को दिल्ली के पड़ोसी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अपने कारोबार को स्थानांतरित करना पड़ेगा।
कारोबारी संगठन कैट की बैठक में ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन और दिल्ली ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के नेता भी शामिल हुए। इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पूरे दिल्ली में केजरीवाल सरकार के इस आदेश के खिलाफ एक आक्रामक और सघन अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए कैट के प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा के नेतृत्व में एक संघर्ष समिति का गठन किये जाने का प्रस्ताव भी पारित हुआ। इस प्रस्ताव के मुताबिक 10 जुलाई, 2022 से वाले इस अभियान में दिल्ली के सभी बाजारों में व्यापारियों की सभाएं तथा रैली आयोजित होगी, जिसमें दिल्ली सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की जाएगी।
व्यापारियों का कहना है कि प्रदूषण निश्चित तौर पर बड़ी समस्या है, लेकिन इसको रोकने के लिए उठाया यह कदम व्यापार का अहित न करे। यह सोचना बेहद जरूरी है। कैट ने कहा कि दिल्ली में संभावित प्रदूषण को कम करने के लिए व्यापारियों ने दिल्ली में एक करोड़ पेड़ लगाने का प्रस्ताव भी पास किया। कैट इसके लिए केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम से सहयोग की मांग करेगी। आगामी रक्षा बंधन पर दिल्ली के सभी व्यापारी संगठन वृक्ष मित्र योजना चलाएंगे और पेड़ों पर राखियां बांध कर पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प लेंगे। इस मुद्दे पर कैट का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय सक्सेना और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलेगा और इस आदेश को वापस लेने का आग्रह करेगा।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि प्रस्ताव में कहा कि दिल्ली सहित देशभर में माल की लगभग 70 फीसदी आवाजाही सड़क मार्ग से होती है। इसके लिए ट्रक का उपयोग किया जाता है, जो ट्रक डीजल से चलते हैं। ऐसे में यदि ट्रक दिल्ली की सीमा में नहीं आएंगे, तो दिल्ली में अन्य राज्यों से माल कैसे आएगा और कैसे बाहर जाएगा। यह एक बड़ा सवाल व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों के लिए खड़ा हो गया है। इसको देखते हुए कारोबारी संगठनों की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि दिल्ली सरकार का यह निर्णय एक देश-एक कानून के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है, जो देशभर में सभी वस्तुओं के फ्री मूवमेंट की अवधारणा के भी खिलाफ है। उन्होंने बताया कि दिल्ली को छोड़कर ऐसा आदेश देश के किस भी अन्य राज्य में नहीं है।
खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह निर्णय दिल्ली के व्यापार को विनाश की ओर ले जाएगा, क्योंकि व्यापारियों के बीच हो रहे कारोबार में यदि दिल्ली के व्यापारी सामान नहीं उपलब्ध करा पाएंगे, तो उनका ग्राहक किसी और राज्य के व्यापारियों से माल लेगा। क्योंकि, एक बार गया ग्राहक दोबार लौट कर वापस नहीं आता है। (एजेंसी, हि.स.)
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