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    ट्रैक्टर से सिर्फ खेत ही नहीं तानाशाहों का गुरुर भी जोता जाता है

  • November 19, 2021

    • जनता बोली -विपक्ष किसानों से सीखे कैसे होता है लोकतंत्र में विरोध !!!
    • सरकार के किसान बिल वापस लेने से शहर में जश्न का माहौल

    जबलपुर। शुक्रवार की सुबह पूरा शहर जश्न मनाता हुआ दिख रहा था, मौका ही कुछ ऐसा था जहां एक तरफ गुरु नानक जयंती के अवसर पर पूरे शहर में पंजाबी समाज इस त्यौहार को मना रहा था ,वहीं दूसरी तरफ सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में गुरु नानक जयंती के अवसर पर किसानों के लिए बड़ी घोषणा कर दी। प्रधानमंत्री ने जैसे ही कृषि कानून बिल को वापस लेने की बात कही,यह सुनते ही शहर के सभी किसान वर्ग में जश्न का माहौल हो गया और सभी की वैचारिक सोच बाहर आने लगी। जनता कहती नजर आई कि लोकतंत्र में लडऩा किसानों से सीखना चाहिए कैसे इस तानाशाही सरकार को उन्होंने अपने कदमों में ला खड़ा किया। वहीं पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने इस निर्णय को विवेकपूर्ण बताया तथा उसका स्वागत किया है।



    केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने का निर्णय लेने के बाद किसानों के चेहरों पर खुशी नजर आ रही है। जबलपुर से लेकर पूरे मध्यप्रदेश में कानून वापस लिए जाने पर खुशियां मनाई जा रही है, गैरराजनीतिक किसान संगठनों द्वारा मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया जा रहा है। जबलपुर के पाटन-पनागर, सिहोरा, बरेला और शहपुरा सहित अन्य क्षेत्रों के किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय का स्वागत करते हुए बधाईयां दी है। मालूम हो कि सिंघु और टीकरी, दिल्ली बार्डर और देश में कई स्थानों पर किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 14 महीने से किसान आंदोलन कर रहे थे। जबलपुर के सिहोरा में भी किसान संयुक्त मोर्चा के राकेश टिकैत ने भी आमसभा ली थी।
    शहर कांग्रेस जिला अध्यक्ष दिनेश यादव के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने सिविक सेंटर पर कृषि कानून वापस होने की बात पर मिष्ठान वितरण किया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कानून वापस लेने का निर्णय स्वागत योग्य है, भाजपा सरकार अपने इस निर्णय पर कायम रहते हुए प्रस्ताव संसद में पास कराए। सरकार का निर्णय राजनीतिक नहीं होना चाहिए क्योंकि किसानों ने कृषि कानून को लेकर अपनी जान गंवाई है। यह निर्णय किसानों की जीत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा.प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में इस आशय की घोषणा की. उन्होंने कहा, ” पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए कदमों को रेखांकित किया।.उन्होंने कहा कि कृषि बजट में पांच गुना बढ़ोतरी की गई है, हर साल 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है. मोदी ने कहा कि उनकी सरकार तीन नये कृषि कानून के फायदों को किसानों के एक वर्ग को समझाने में नाकाम रही। उन्होंने घोषणा की कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाएगा और इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद कानून का होना ना होना बेमानी हो गया था।वक्त की नजाकत को देखते हुए मोदी जी ने जो निर्णय लिया है वह विवेकपूर्ण है और हम उनके इस निर्णय का स्वागत करते हैं
    अजय विश्नोई, विधायक, पाटन विधानसभा

    इस बिल को लेकर जो लड़ाई लड़ी गई उसमें 7 सौ किसानों ने अपनी जान दी. मोदी सरकार द्वारा अपने मित्रों अंबानी और अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए यह बिल लाया गया था। जिसका हिंदुस्तान की जनता ने पुरजोर विरोध किया . आज बिल वापसी के मौके पर हम उनन सभी लोगों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने इस बिल की वापसी के संघर्ष में अपनी जान गवाई
    राजेंद्र गुप्ता संयुक्त किसान मोर्चा

    यह किसानों की जीत है, केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह तीनों बिल लाए हुए थे उसे भारत की जनता ने नकार दिया, हमने इस बिल का पुरजोर विरोध किया जिसके कारण केंद्र सरकार को घुटने टेकने पड़े इस बिल की वापसी पर सभी को बधाई।
    दिनेश यादव नगर अध्यक्ष, कांग्रेस।

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