भोपाल। मप्र (MP) के जंगल कितनी मात्रा में कार्बन डाय ऑक्साइड (Carbon Di Oxide) सोख रहे हैं इसका आकलन करे के लिए प्रदेशभर के जंगल क्षेत्रों में कार्बन फ्लक्स टॉवर (Carbon flux tower) लगाए जाएंगे। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (Kanha National Park) और बैतूल के बाद पेड़ों द्वारा कार्बन अवशोषण का रिकॉर्ड दर्ज करने अब बुधनी (Budhni) में कार्बन फ्लक्स टॉवर (Carbon flux tower) लगाया गया है। यह प्रदेश में लगने वाला तीसरा कार्बन फ्लक्स टॉवर (Carbon flux tower) है। जिसकी लागत करीब 1 करोड़ 50 लाख रुपए है। टॉवर (Tower) बुधनी के वन परिक्षेत्र खटपुरा बीट में लगाया गया है। टॉवर (Tower) से मिलने वाले डेटाबेस (Database) को रिकार्ड करने के लिए फिलहाल सिस्टम (System) नहीं लगाया गया है। कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की वजह से काम रुक गया है।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून के अधिकारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण कम होने के बाद टॉवर का बचा हुआ काम पूरा किया जाएगा। जिससे लगभग 10 वर्ग किमी वन और उसके आसपास के इलाके में पेड़ों द्वारा प्रतिदिन कार्बन डायऑक्साइड अवशोषण के रिकार्ड को दर्ज किया जा सकेगा। टॉवर से कार्बन अवशोषण रिकार्ड की मॉनीटरिंग भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून करेगा। ज्ञात हो कि कार्बन अवशोषण के लिए होशंगाबाद, सीहोर और बैतूल जिले के वनकर्मियों को पूर्व में प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।
दो साल पहले हुआ था सर्वे
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून की एक टीम ने वर्ष 2018-19 में सर्वे किया था। यह सर्वे दो साल तक चला था। सर्वे के दल प्रभारी डा. मोहम्मद साहिद ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बुधनी सर्किल में 59.82, भौंरा 57.59, बानापुरा, सुखतवा और इटारसी सर्किल में 62 टन प्रति हैक्टेयर कार्बन अवशोषण का काम वन कर रहे हैं।
प्रदेशभर के जंगलों में लगेंगे टावर
दुनिया में सबसे ज्यादा पर्यावरण और जलवायु सम्बन्धी जोखिमों का सामना कर रहे 100 शहरों में से 43 अकेले भारत में हैं। यह शहर बढ़ते प्रदूषण, पानी की घटती सप्लाई, बाढ़, सूखा, तूफान और हीटवेव जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण गंभीर खतरे में हैं। इसको देखते हुए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून जंगलों में कार्बन फ्लक्स टॉवर लगाकर कार्बन डायऑक्साइड अवशोषण का आकलन कर रहा है। इसी के तहत प्रदेशभर में वन क्षेत्र में टावर लगाए जाएंगे।
यह है कार्बन फ्लक्स टॉवर
मोबाइल टॉवर की तरह दिखने वाला यह कार्बन फ्लक्स टॉवर पेड़ों द्वारा कितना कार्बन डायऑक्सइड अवशोषण कर ऑक्सीजन में बदला जा रहा है का रिकार्ड दर्ज करता है। इस रिकॉर्ड के जरिए वनों व पेड़ पौधों का संरक्षण करने के साथ ही उनमें बढ़ोतरी करने जैसे कार्य किए जाएंगे। ताकि कार्बन डायऑक्साइड और ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून के डा. एनपीएस नैन ने बताया कि टॉवर लगाया जा चुका है। कोरोना संक्रमण की वजह से पूरा सिस्टम अभी नहीं लगा है।
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