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    श्रीलंका में पिछले कुछ समय में बढ़ा रामायणकाल से जुड़ा पर्यटन, इंदौर सहित पूरे देश से बड़ी संख्या में जा रहे पर्यटक

  • April 17, 2024

    इंदौर। एक समय रावण का राज्य कहे जाने वाले श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों से बेहाल है और भगवान श्रीराम इसे संभालने में मदद कर रहे हैं। जी हां, सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह सही है। पिछले कुछ सालों से श्रीलंका में भारतीय पर्यटकों का पर्यटन काफी बढ़ा है और इसका प्रमुख कारण है श्रीलंका में स्थित रामायणकाल से जुड़े स्थान, जैसे अशोक वाटिका। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भारत से श्रीलंका जा रहे हैं। इसे देखते हुए अब श्रीलंका सरकार भी रामायणकाल से जुड़े प्रमुख स्थलों को विकसित और प्रचारित कर रही है।

    एक ओर जहां पिछले कुछ सालों में भारत में भी अयोध्या में भगवान श्रीराम के जन्म स्थल पर मंदिर निर्माण से लेकर राम वनगमन पथ पर विशेष कार्य किए जा रहे हैं और बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन स्थानों पर पहुंच रहे हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लेकर पर्यटन में बढ़ोतरी हुई है। ट्रेवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सचिव अमोल कटारिया ने बताया पिछले कुछ समय से इंदौर सहित भारत के प्रमुख शहरों से बड़ी संख्या में पर्यटक श्रीलंका जा रहे हैं। यहां के सुंदर समुद्र तटों के अलावा पर्यटक यहां रामायण से जुड़े स्थानों पर जा रहे हैं, जो श्रीलंका के कई प्रमुख शहरों में फैले हैं। इन्हें देखने के लिए भारत सहित श्रीलंका के टूर एजेंट्स भी विशेष पैकेज डिजाइन कर रहे हैं।


    छह दिन का विशेष टूर पैकेज, रामसेतु से लेकर अशोक वाटिका तक शामिल

    • कटारिया ने बताया कि श्रीलंका में जाने वाले पर्यटक विशेष रूप से रामपथ यात्रा (राम ट्रैल जर्नी) के पैकेज ले रहे हैं। छह दिन के इस पैकेज में पहले दिन यात्री श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचते हैं। एक दिन यहीं बिताते हैं और अगले दिन से रामपथ यात्रा शुरू होती है।
    • कोलंबो से यात्री चिलाव जाते हैं, जो पुट्टलम जिले में स्थित है। यहां मनवारी मंदिर के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव का यह मंदिर भगवान श्रीराम ने बनवाया था।
    • अगले दिन चिलाव से यात्री मन्नर जाते हैं, जहां भारत से श्रीलंका को जोडऩे वाला रामसेतु है, जिसे भगवान राम की सेना ने बनाया था। यहां भगवान शिव के थीरुकेटेश्वरम् कोविल मंदिर के भी दर्शन करते हैं।
    • अगले दिन मन्नर से यात्री जाफना पहुंचते हैं, जो श्रीलंका के उत्तरी छोर पर स्थित है। यहां नागुलेश्वरम् कोविल मंदिर स्थित है और इससे लगी एक झील भी है। मान्यता है कि रावण के वध के बाद भगवान श्रीराम और मां सीता ने यहां आकर दोष से मुक्त होने के लिए स्नान किया था।
    • यात्रा के पांचवें दिन श्रद्धालु मन्नर से जाफना जाते हैं। यहां सीता अम्मान मंदिर के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि यह अशोक वाटिका थी, जहां मां सीता को अपहरण करने के बाद रखा गया था और जहां पहली बार भगवान हनुमान उनसे मिले थे। यहां एक पहाड़ पर भगवान हनुमान के विशाल पैर का निशान भी अंकित है। इसके अलगे दिन यात्री कोलंबो पहुंचते हैं और रामपथ यात्रा का समापन होता है।

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